बुवाई होने के बाद पता चल रहा खाद-बीज अच्छा या खराब, किसानों को उठाना पड़ा रहा नुकसान
-बीज के सैम्पल लेने में भी औपचारिकता
-समय पर नहीं आती खाद, बीज व कीटनाशी सैम्पल की रिपोर्ट

पाली। किसानों ने बड़ी उम्मीदों के साथ खरीफ फसल की बुवाई कर दी है, जब तक फसल पक कर तैयार नहीं होती है किसान चिंता में ही रहता है। किसान फसल की बुवाई [ Crop sowing ] राम भरोसे ही करता है। कृषि विभाग [ Agriculture Department ] की ओर से बाजार जो खाद, बीज व कीटनाशी का सैम्पल लिए जाते है। उनकी रिपोर्ट एक से दो महीने के बाद आती है। जब तक किसान फसल बुवाई कर चुका होता है। खाद, बीज व कीटनाशी का सैम्पल मात्र सरकारी औपचारिकता बन कर रह गया है। किसानों को खाद-बीज [ Compost seed ] के सैम्पल लेने से कोई फायदा नहीं मिलता है। जिले भर में प्रत्येक साल चार से पांच सैम्पल खाद, बीज व कीटनाशी के फैल होते है। इससे किसानों को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है।
यह है लक्ष्य
कृषि विभाग के अधिकारियों के मुताबिक इस साल खाद के 420, बीज के 365 व कीटनाशी के 85 सैम्पल लेने है। विभागीय अधिकारियों ने जुलाई माह तक खाद के 12, बीज के 150 व कीटनशी के 14 सैम्पल लिए है। जुलाई माह तक अधिकारियों को खाद के 41, बीज के 143 व कीटनाशी के 24 सैम्पल लेने थे। खाद व कीटनाशी के सैम्पल कम लिए है।
किसान सरकारी सिस्टम के आगे बेबस है
किसानों के मुताबिक फसल बुवाई से पूर्व ही बीज व खाद के सैम्पल की रिपोर्ट आ जानी चाहिए। सैम्पल फैल होने पर तुरंत उस बीज व खाद को सीज करना चाहिए। लेकिन सरकारी सिस्टम ही ऐसा बना हुआ है कि बुवाई के एक से दो महीने के बाद सैम्पल रिपोर्ट आती है। तब तक किसान बुवाई कर चुका होता है। खराब बीज के कारण फसल खराब होती है तो किसानों को कोई फायदा नहीं मिल पाता है।
सैम्पल जांच के लिए भेजे गए है
बाजार से खाद, बीज व कीटनाशी के सैम्पल लिए गए है। जांच के लिए प्रयोगशाला में भेजे गए है। सैम्पल लेने के एक महीने बाद रिपोर्ट आती है। -शंकराराम बेड़ा, उपनिदेशक कृषि विभाग विस्तार पाली
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