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संविदा पर कार्यरत महिला ने साथी व्याख्याता पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप, महिला उत्पीडऩ समिति को सौंपी जांच

locationपालीPublished: Feb 27, 2021 10:33:38 am

Submitted by:

Suresh Hemnani

– आरोपी व्याख्याता को किया कार्यमुक्त

संविदा पर कार्यरत महिला ने साथी व्याख्याता पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप, महिला उत्पीडऩ समिति को सौंपी जांच

संविदा पर कार्यरत महिला ने साथी व्याख्याता पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप, महिला उत्पीडऩ समिति को सौंपी जांच

पाली। बांगड़ कॉलेज में संविदा पर कार्यरत एक महिला व्याख्याता ने साथी वरिष्ठ व्याख्याता पर अभद्रता व छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज प्राचार्य ने आरोपी व्याख्याता को तत्काल आयुक्तालय जयपुर के लिए रिलीव कर दिया। साथ ही कॉलेज की महिला उत्पीडऩ समिति को मामले की जांच सौंपी है।
महिला व्याख्याता ने शुक्रवार को अपने पति के साथ कॉलेज पहुंचकर कॉलेज प्राचार्य को लिखित में शिकायत दी। शिकायत में बताया कि 25 फरवरी को दोपहर वह कॉलेज से घर जा रही थी। इस दौरान साथी व्याख्याता आए और उसे घर छोडऩे के लिए कहा। उसने मना किया, लेकिन ज्यादा आग्रह किया तो वह बाइक पर उनके साथ घर आ गई। यहां पहुंचने पर व्याख्याता ने चाय पीने की इच्छा जताई। जैसे ही वह रसोई में पहुंची तो वे पीछे-पीछे आए और छेड़छाड़ की। विरोध करने पर वह रवाना हो गए। इधर, महिला व्याख्याता की शिकायत के बाद शुक्रवार को कॉलेज में बवाल मच गया। ट्रांसपोर्ट नगर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची। कॉलेज व्याख्याता और पीडि़ता के बीच काफी देर तक बहस भी हुई। हालांकि, शुक्रवार रात तक पीडि़ता ने पुलिस थाने में रिपोर्ट नहीं दी।
व्याख्याता को रिलीव किया
महिला व्याख्याता की लिखित शिकायत के बाद कॉलेज के वरिष्ठ व्याख्याता को आयुक्तालय जयपुर के लिए रिलीव किया है। मामले की जांच कॉलेज की महिला उत्पीडऩ समिति को सौंपी। व्याख्याता को एपीओ करने का अधिकार आयुक्तालय को ही है। –कल्याणसिंह रावत, प्रिंसिपल, बांगड़ कॉलेज
अधिकतर कार्यालयों में नहीं हैं समितियां
कार्य स्थलों पर महिला उत्पीडऩ की घटना रोकने के उद्देश्य से दस से अधिक कर्मचारी वाले कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन होना चाहिए। लेकिन हकीकत यह हैं कि जिले के अधिकतर सरकारी कार्यालयों में भी कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के तहत समितियों का गठन नहीं है। ऐसे में उन कार्यालयों में काम करने वाली महिला कार्मिकों को भी नहीं पता हैं कि वह अपने कार्यालय में ही उत्पीडऩ की शिकायत कर सकती है। जबकि कार्यालय में समिति गठित होने की सूचना चस्पा भी जानी चाहिए। लेकिन जिले के अधिकतर कार्यालयों में ऐसी व्यवस्था नहीं कर रखी है।
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