महिला व्याख्याता की लिखित शिकायत के बाद कॉलेज के वरिष्ठ व्याख्याता को आयुक्तालय जयपुर के लिए रिलीव किया है। मामले की जांच कॉलेज की महिला उत्पीडऩ समिति को सौंपी। व्याख्याता को एपीओ करने का अधिकार आयुक्तालय को ही है। –कल्याणसिंह रावत, प्रिंसिपल, बांगड़ कॉलेज
कार्य स्थलों पर महिला उत्पीडऩ की घटना रोकने के उद्देश्य से दस से अधिक कर्मचारी वाले कार्यालयों में आंतरिक परिवाद समिति का गठन होना चाहिए। लेकिन हकीकत यह हैं कि जिले के अधिकतर सरकारी कार्यालयों में भी कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीडऩ (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 के तहत समितियों का गठन नहीं है। ऐसे में उन कार्यालयों में काम करने वाली महिला कार्मिकों को भी नहीं पता हैं कि वह अपने कार्यालय में ही उत्पीडऩ की शिकायत कर सकती है। जबकि कार्यालय में समिति गठित होने की सूचना चस्पा भी जानी चाहिए। लेकिन जिले के अधिकतर कार्यालयों में ऐसी व्यवस्था नहीं कर रखी है।