उन्होंने बताया कि माता की सोनाग्राफी कराने के लिए ले जाना था। इस पर साथ में ऑक्सीजन सिलेण्डर चाहिए था। अस्पताल के कार्मिकों ने एक सिलेण्डर दिया और उसे भरा हुआ बताया। पार्षद ने सिलेण्डर खाली होना बताया, लेकिन कार्मिक ने सिलेण्डर भरा बताया। इस पर वे माता को सिलेण्डर से ऑक्सीजन लगाकर सोनोग्राफी के लिए ले जा रहा था।
उसी समय सिलेण्डर में ऑक्सीजन खत्म हो गई और उनके माता की तबीयत बिगड़ गई। इस पर वे भागकर वापस वार्ड में गए और सिलेण्डर लाकर माता को लगाया। उनका कहना था कि उनके वार्ड में लगे चिकित्सा कार्मिकों का व्यवहार भी बेहतर नहीं है। कई बार तो रात 12 बजे तक दवा व इंजेक्शन के लिए इंतजार करना पड़ता है।