रोजाना बनता है करीब एक करोड़ मीटर कपड़ा पाली की औद्योगिक इकाइयों में रोजाना करीब 1 करोड़ मीटर कपड़ा तैयार किया जाता है। इसके लिए कपड़े की डाइंग पर अभी तक 3 से 6 रुपए लागत आती थी। जो अब बढ़कर 3.5 से 6.5 रुपए हो गई है। इस तरह रोजाना कपड़े पर करीब 25 से 50 लाख रुपए की लागत अधिक आ रही है। पाली के कपड़ा इण्डस्ट्री का एक माह का टर्न ओवर करीब एक हजार करोड़ रुपए का है।
अफ्रीका में जाता है कपड़ा पाली के कपड़ा उद्योग का अधिक कपड़ा देश के हर शहर व गांवों तक जाता है। यहां से कुछ कपड़ा अफ्रीका के नाइजीरिया व केनिया आदि देशों में भी जाता है। वहां अभी तक कोरोना का प्रभाव नहीं होने के कारण निर्यात पर अधिक प्रभाव नहीं हुआ है। व्यवसायियों के अनुसार पाली से करीब 30 लाख मीटर कपड़ा अफ्रीकी देशों में भेजा जाता है। इन देशों में साढ़े सात करोड़ रुपए का व्यापार होता है।
लागत में हो गई वृद्धि होली के बाद अवकाश होने के कारण अभी तक उद्योग प्रभावित नहीं हुआ है। आने वाले आठ-दस दिन यह स्थिति रहने पर उद्योग प्रभावित होगा। प्रोसेसिंग की लागत में 25 से 50 पैसे प्रति मीटर बढ़ोतरी हो गई है।
विनय बम्ब, अध्यक्ष, राजस्थान टेक्सटाइल हैण्ड प्रोसेसर्स एसोसिएशन, पाली कच्चे माल के दाम बढ़े चाइना से आने वाले कलर-केमिकल के कच्चे माल की लागत बढ़ गई है। जिसका प्रभाव कपड़ा उद्योग पर भी पड़ रहा है। यहां से अफ्रीका के देशों में कपड़ा जाता है। वहां कोरोना का प्रभाव नहीं होने से उद्योग अधिक प्रभावित नहीं हुआ है।
अनिल गुलेच्छा, अध्यक्ष, सीइटीपी, पाली