आदिवासी बाहुल क्षेत्रों में वैक्सीन को लेकर कई भ्रांतियां फैल गई। कोई कहने लगा, इसे लगाते ही मर जाते हैं तो कोई कहने लगा बुखार आ जाता है। इस क्षेत्र में वैक्सीनेशन बढ़ाना चिकित्सा विभाग के लिए चुनौती बन गया। ऐसे में 13 ग्राम पंचायतों के 40 गांवों में वैक्सीन की जागरूकता के लिए दिन रात पड़ाव किया। समाज के लोग, जन प्रतिनिधि, महिलाएं, एनजीओ, पुलिस, चिकित्सा विभाग, पंचायत, पटवारी, सरकारी कर्मचारियों ने मिलकर आदिवासी लोगों को समझाया। इसके होने वाले फायदों के बारे में बताया। आखिरकार समाज के लोगों व महिलाओं को आगे लाया, महिलाओं व समाज के लोनों ने खुद के वैक्सीन लगाकर इसके फायदे बताए, तब जाकर यहां वैक्सीनेशन बढ़ा। अब युवाओं में वैक्सीन लगाने को लेकर खासा उत्साह है।
आदिवासी इलाकों में नाना थानाधिकारी भंवरलाल माली के नेतृत्व में पूरे आदिवासी इलाकों में पुलिस ने घर-घर जाकर वैक्सीन के फायदे बताए। इसके भी सुखद परिणाम सामने आए। यह है मामूली साइड इफेक्ट वैक्सीन के
– बुखार
– हाथ में दर्द
– बदन दर्द
– हाथ में दर्द
देश में वर्तमान में दो वैक्सीन लगाई जा रही है। कोवैक्सीन और कोविशील्ड, दोनों ही वैक्सीन कारगर है। दोनों के परिणाम बेहतर है। इसलिए आमजन को जो भी वैक्सीन उपलब्ध हो, वह लगवा ले।
कोरोना वैक्सीन जहर नहीं, अमृत है। घबराए नहीं, इसे जरूर लगवाएं। इसके कोई खास साइड इफेक्ट नहीं है। जिन लोगों ने कोरोना वैक्सीन लगाई है, इसके बाद उन्हें कोरोना हो भी जाता है तो वह मरीज गंभीर नहीं होता। जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई, वे गंभीर स्थिति में जा सकते हैं। जो वैक्सीन उपलब्ध हो, वह वैक्सीन लगवा ले। यह ध्यान रखें, जिस वैक्सीन की पहली डोज लगी है, दूसरी डोज भी उसी वैक्सीन की ही लगवाए। – डॉ. दीपक वर्मा,
प्रिंसीपल, मेडिकल कॉलेज, पाली।
यह सहीं है कि आदिवासी इलाकों की 13 ग्राम पंचायतों के करीब 40 गांवों में कोरोना वैक्सीन को लेकर कई भ्रांतियां थी, हमने आदिवासी समाज की पढ़ी लिखी महिलाओं, समाज के लोगों, जन प्रतिनिधियों व पुलिस का सहारा लिया। उन्होंने समझाइश की, अब वैक्सीनेशन जोरों पर है। – डॉ. हितेश वागोरिया, बीसीएमओ, चिकित्सा विभाग, बाली।