25 मजदूरों के बराबर एक हल
मेहंदी की फसल में एक हल दिनभर में 25 से 30 मजदूर जितनी निराई गुड़ाई करते है। उतनी ही निराई गुड़ाई एक हल दिनभर में करता है। मेहंदी की निराई गुड़ाई में एक मजदूर दिन का 600 से 800 रुपए मजदूरी लेता है। इस हिसाब से 20 से 30 मजदूरों की मजदूरी 15 से 18 हजार रुपए बन जाती है। जबकि एक हल की दिनभर की मजदूरी 2500 रुपए ही देनी पड़ती है।
मेहंदी की फसल में एक हल दिनभर में 25 से 30 मजदूर जितनी निराई गुड़ाई करते है। उतनी ही निराई गुड़ाई एक हल दिनभर में करता है। मेहंदी की निराई गुड़ाई में एक मजदूर दिन का 600 से 800 रुपए मजदूरी लेता है। इस हिसाब से 20 से 30 मजदूरों की मजदूरी 15 से 18 हजार रुपए बन जाती है। जबकि एक हल की दिनभर की मजदूरी 2500 रुपए ही देनी पड़ती है।
मजदूरों का भी नहीं झंझट
महानरेगा योजना के कारण्सा ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की भारी समस्या है। दूर-दराज के गांवों से जीपों में मजदूरों को भर कर लेकर आना पड़ता है। जीप का किराया भी अलग से देना पड़ता है। महानरेगा के मजदूर इतना काम भी नहीं करते है। ऐसे में किसान बैल व हल से ही खेतों में निराई गुड़ाई कर रहा है।
महानरेगा योजना के कारण्सा ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरों की भारी समस्या है। दूर-दराज के गांवों से जीपों में मजदूरों को भर कर लेकर आना पड़ता है। जीप का किराया भी अलग से देना पड़ता है। महानरेगा के मजदूर इतना काम भी नहीं करते है। ऐसे में किसान बैल व हल से ही खेतों में निराई गुड़ाई कर रहा है।
40 हजार हैक्टेयर में मेहंदी की फसल
जिले के मारवाड़ जंक्शन, सोजतसिटी, रायपुर व जैतारण क्षेत्र में करीब 40 हजार हैक्टेयर में मेहंदी की फसल की बुवाई हो रखी है। मेहंदी की फसल की निराई गुड़ाई गहराई के साथ करनी पड़ती है। जो हर कोई मजदूर से नहीं होती है। जिले में 5 लाख 60 हजार हैक्टेयर में खरीफ की फसल भी बुवाई हो रखी है। तिल, मूंग मोठ की भी किसान बैल व हल से निराई गुड़ाई कर रहे हैं।
जिले के मारवाड़ जंक्शन, सोजतसिटी, रायपुर व जैतारण क्षेत्र में करीब 40 हजार हैक्टेयर में मेहंदी की फसल की बुवाई हो रखी है। मेहंदी की फसल की निराई गुड़ाई गहराई के साथ करनी पड़ती है। जो हर कोई मजदूर से नहीं होती है। जिले में 5 लाख 60 हजार हैक्टेयर में खरीफ की फसल भी बुवाई हो रखी है। तिल, मूंग मोठ की भी किसान बैल व हल से निराई गुड़ाई कर रहे हैं।
निराई गुड़ाई अच्छी और सस्ती
बैल व हल से मेहंदी की फसल की निराई गुड़ाई अच्छी भी होती है और सस्ती भी पड़ती है। मजदूरों से कई गुणा ज्यादा काम हल से होता है। हल से निराई गुड़ाई किसानों के लिए फायदे का सौदा है। –नारायणलाल चौधरी, किसान
बैल व हल से मेहंदी की फसल की निराई गुड़ाई अच्छी भी होती है और सस्ती भी पड़ती है। मजदूरों से कई गुणा ज्यादा काम हल से होता है। हल से निराई गुड़ाई किसानों के लिए फायदे का सौदा है। –नारायणलाल चौधरी, किसान
तीन दशक से बैल गायब
लगभग तीन दशक से खेती मशीनरी पर ज्यादा निर्भर हो गई। बैल और हल गायब से हो गए। अब खेती फिर परम्परागत माध्यम पर लौट रही है। इससे खेती को फायदा होगा। –पूनाराम देवड़ा, किसान
लगभग तीन दशक से खेती मशीनरी पर ज्यादा निर्भर हो गई। बैल और हल गायब से हो गए। अब खेती फिर परम्परागत माध्यम पर लौट रही है। इससे खेती को फायदा होगा। –पूनाराम देवड़ा, किसान