इस सम्पर्क सडक़ में जगह-जगह गड्ढे हो चुके हैं। डामर का नामोनिशान तक मिट चुका है। ऐसे में बारिश के दिनों में यहां पानी भरा रहता था। इससे दुपहिया वाहन चालक हादसे के शिकार बनते थे। जब कस्बेवासियों ने हंगामा किया तो सडक़ निर्माण कम्पनी ने स्थायी समाधान की बजाय मिट्टी डलवा इतिश्री कर ली। अब वही मिट्टी रेत का गुबार बन परेशानी का सबब बन चुकी है।
सडक़ निर्माण कम्पनी ही टोल वसूली का काम कर रही है। नियमों की बात करें तो सुविधा के नाम पर वसूली जा रही टोल राशि के बदले कम्पनी को वाहन चालकों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखना होता है, लेकिन यहां कम्पनी को महज टोल वसूली से ही सरोकार है। इससे वाहन चालको व कस्बेवासियों की परेशानी नजर नहीं आ रही है।
समाजसेवी अशोक पालडिय़ा ने जिला कलक्टर व एनएचएआई के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा है। जिसमें बदहाल सम्पर्क सडक़ से वाहन चालकों व चौराहे पर स्थित दुकानदारों को हो रही परेशानी का हवाला देते हुए सम्पर्क सडक़ का निर्माण कराने की मांग की है। पालडिय़ा ने समय रहते सम्पर्क सडक़ निर्माण नहीं किए जाने पर प्रदर्शन की चेतावनी दी है।