मातृ-शिशु विभाग के आउटडोर में प्रवेश करते ही महिलाओं की दो लम्बी कतार लगी थी। इनमें से कई महिलाएं हाथ में बच्चो लेकर खड़ी थी। वहां किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग नहीं थी। टीकाकरण के लिए बैठी नर्सिंगकमी का मास्क गले में लटका था। जिसको उन्होंने पत्रिका टीम पर नजर पड़ते ही पहना।
प्रथम तल पर प्रसूती वार्ड के आगे चार-पांच युवक एक-दूसरे से सटे खड़े थे और एक-दूसरे को पेड़ खिला रहे थे। प्रसूती वार्ड के बाहर भी कई लोग बिना मास्क लगाए ही बैठे थे। ऐसा ही हाल गैलेरी में दूसरी तरफ था। ऑपरेशन कक्ष के बाहर भी लोगों के साथ सफाईकर्मी व नर्सिंगकर्मी बिना सुरक्षा घूमते रहे।
नवजात शिशुओं के बने एसएनसीयू वार्ड में कहने को तो किसी को प्रवेश है, लेकिन इसके बाहर लोग बच्चों को गोद में लिए बिना सुरक्षा घूम रहे थे। वार्ड में एक ही ट्रे में दो-दो बच्चे लेटे थे। वहां बड़ी बात यह थी कि बायो वेस्ट से भरी बाल्टी का ढक्कन खुला ही पड़ा था। जबकि इस जगह पर सबसे अधिक संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
प्रथम तल पर ही बने मेडिकल वार्ड में जाने पर नर्सिंगकर्मी गपशप लगा रहे थे। मरीज और उनके परिजन एक ही पलंग पर बैठे थे, लेकिन मास्क नहीं लगा रखे थे। प्रसुताओं के दूसरे वार्ड के बाहर भी लोग एक-दूसरे से सटकर बैठे थे और वहीं से वार्ड में आ जा रहे थे। इसके बावजूद कोई उनको रोकने वाला नहीं था।
अस्पताल में इस तरह की लापरवाही गलत है। इस बारे में सम्बन्धित विभाग के विभागाध्यक्ष को पाबंद किया जाएगा। इसके बाद भी सुधार नहीं होने पर कार्रवाई की जाएगी। –हरीशकुमार आचार्य, प्रिंसिपल, मेडिकल कॉलेज, पाली