वाणिज्य संकाय
976 विद्यार्थियों ने भरा था आवेदन 963 विद्यार्थी रहे परीक्षा में उपिस्थत
622 छात्र हुए उत्तीर्ण
323 छात्राएं रही उत्तीर्ण588 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण 304 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण
53 विद्यार्थी तृतीय श्रेणी से हुए उत्तीर्ण
976 विद्यार्थियों ने भरा था आवेदन 963 विद्यार्थी रहे परीक्षा में उपिस्थत
622 छात्र हुए उत्तीर्ण
323 छात्राएं रही उत्तीर्ण588 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण 304 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण
53 विद्यार्थी तृतीय श्रेणी से हुए उत्तीर्ण
दादा-दादी ने थामा हाथ तो बढ़ती चली जा रही हिमांशी
पाली की हिमांशी ने विज्ञान के परिणाम में अर्जित किए 98.80 प्रतिशत अंक
पाली। शहर में रहने वाली हिमांशी महज छह साल की थी, तब माता-पिता का एक एक्सीडेंट में निधन हो गया। उस नन्ही बालिका का हाथ दादा-दादी व चाचा-चाची ने थामा। उसे बेटी की तरह लाड लडाया और शहर, देश, समाज में नाम कमाने और आगे बढऩे का हौसला दिया। उस बालिका के कदम जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, सफलता उसके कदम चूमने को आतुर सी हो गई। जब शिक्षा के पहले मुश्किल पड़ाव दसवीं में आई तो जिले में सबसे अधिक 97.17 प्रतिशत अंक प्राप्त कर परचम लहराया। दादा-दादी के साथ चाचा-चाची खुशी से फूले नहीं समाए। बालिका का हौसला बढ़ा और विज्ञान वर्ग की बारहवीं में भी 98.80 प्रतिशत अंक हासिल कर दादा सत्यनारायण व दादी प्रेमलता नवाल का नाम रोशन कर दिया। वे अपनी पोती की सफलता से इतने खुश है कि मिठाई खिलाते समय आंखों में पानी आ गया।
पाली की हिमांशी ने विज्ञान के परिणाम में अर्जित किए 98.80 प्रतिशत अंक
पाली। शहर में रहने वाली हिमांशी महज छह साल की थी, तब माता-पिता का एक एक्सीडेंट में निधन हो गया। उस नन्ही बालिका का हाथ दादा-दादी व चाचा-चाची ने थामा। उसे बेटी की तरह लाड लडाया और शहर, देश, समाज में नाम कमाने और आगे बढऩे का हौसला दिया। उस बालिका के कदम जैसे-जैसे आगे बढ़ते गए, सफलता उसके कदम चूमने को आतुर सी हो गई। जब शिक्षा के पहले मुश्किल पड़ाव दसवीं में आई तो जिले में सबसे अधिक 97.17 प्रतिशत अंक प्राप्त कर परचम लहराया। दादा-दादी के साथ चाचा-चाची खुशी से फूले नहीं समाए। बालिका का हौसला बढ़ा और विज्ञान वर्ग की बारहवीं में भी 98.80 प्रतिशत अंक हासिल कर दादा सत्यनारायण व दादी प्रेमलता नवाल का नाम रोशन कर दिया। वे अपनी पोती की सफलता से इतने खुश है कि मिठाई खिलाते समय आंखों में पानी आ गया।
नीट की कर रही तैयारी हिमांशी ने बताया कि पिता राजेश नवाल व माता सीमा नवाल की कमी चाचा-चाची के साथ दादा व दादी ने कभी महसूस ही नहीं रहने दी। आज वे चाचा-चाची ही मेरे पिता है। एक भाई है, जो सीए कर रहा है। वह भी बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ अंक लाया था।