इधर, डेड स्टोरेज से इस बार पानी पम्प करना 552.50 एमसीएफटी पर शुरू किया गया है। इससे पहले वर्ष 2009 में 550.4 एमसीएफटी, वर्ष 2016 में 561 एमसीएफटी पर तथा वर्ष 2019 में 554 एमसीएफटी पानी जवाई में रहने पर डेड स्टोरेज से पम्पिंग शुरू की गई थी।
डेड स्टोरेज की सैकण्ड स्टेज की जानकारी नहीं
जवाई बांध से पहले डेड स्टोरेज की पम्पिंग 17 मार्च से शुरू हो गई है। इस डेड स्टोरेज का पानी 15-20 अप्रेल तक चलने की आस है। इसके बाद सैकण्ड स्टेज डेड स्टोरेज से पम्पिंग शुरू करनी होगी। यह पम्पिंग कितने एमसीएफटी पानी जवाई में रहने पर शुरू होगी और कितने दिन तक उस पानी उपयोग लिया जा सकेगा। इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
जवाई बांध से पहले डेड स्टोरेज की पम्पिंग 17 मार्च से शुरू हो गई है। इस डेड स्टोरेज का पानी 15-20 अप्रेल तक चलने की आस है। इसके बाद सैकण्ड स्टेज डेड स्टोरेज से पम्पिंग शुरू करनी होगी। यह पम्पिंग कितने एमसीएफटी पानी जवाई में रहने पर शुरू होगी और कितने दिन तक उस पानी उपयोग लिया जा सकेगा। इसकी जानकारी किसी को नहीं है।
सैकण्ड स्तर की जानकारी नहीं होने का यह है कारण
दूसरे डेड स्टारेज की पम्पिंग तेरह साल पहले वर्ष 2009 में शुरू की गई थी। उस समय 380 एमसीएफटी पानी बांध में होने पर डेड स्टोरेज की सैकण्ड पम्पिंग शुरू की थी। इसे एक दशक से अधिक समय होने के कारण अब बांध में कितनी मिट्टी जमा हो चुकी है और कितने स्तर पर जलीय जीव दिखने शुरू होंगे। इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में डेड स्टारेज पम्पिंग का तय समय और पम्पिंग के दिन बताना मुश्किल है।
दूसरे डेड स्टारेज की पम्पिंग तेरह साल पहले वर्ष 2009 में शुरू की गई थी। उस समय 380 एमसीएफटी पानी बांध में होने पर डेड स्टोरेज की सैकण्ड पम्पिंग शुरू की थी। इसे एक दशक से अधिक समय होने के कारण अब बांध में कितनी मिट्टी जमा हो चुकी है और कितने स्तर पर जलीय जीव दिखने शुरू होंगे। इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में डेड स्टारेज पम्पिंग का तय समय और पम्पिंग के दिन बताना मुश्किल है।
इधर, हेमावास में तय किए दो कुएं
पाली शहर में जलापूर्ति बाणियावास बांध व जवाई से अभी तक चल रही है। इनका पानी अप्रेल में समाप्त होने पर स्थानीय जलस्रोत ही सहारा रहेंगे। ऐसे में जलदाय विभाग ने हेमावास बांध में दो कुएं तय किए है। इसके साथ ही पुनागर माता पर ट़्यूबवेल खोदे है। पाली शहर के नया गांव, टैगोर नगर क्षेत्र में पानी का अंदाज लगाकर ट्यूबवेल खोदने की कवायद की जा रही है।
पाली शहर में जलापूर्ति बाणियावास बांध व जवाई से अभी तक चल रही है। इनका पानी अप्रेल में समाप्त होने पर स्थानीय जलस्रोत ही सहारा रहेंगे। ऐसे में जलदाय विभाग ने हेमावास बांध में दो कुएं तय किए है। इसके साथ ही पुनागर माता पर ट़्यूबवेल खोदे है। पाली शहर के नया गांव, टैगोर नगर क्षेत्र में पानी का अंदाज लगाकर ट्यूबवेल खोदने की कवायद की जा रही है।
पानी के लिए कर रहे पूरा प्रयास
जिले में जलापूर्ति सूचारू रखने का पूरा प्रयास कर रहे है। जवाई के सैकण्ड डेड स्टारेज से पानी बहुत कम बार लिया गया है। बांध में पिछले तेरह साल में कितनी मिट्टी आई इसका अंदाज ही लगा सकते है। उसी के आधार पर सैकण्ड डेड स्टोरेज का पानी भी लेना होगा। इस समय लोगों को पानी का उपयोग कम से कम करना चाहिए। जिससे संकट काल निकल जाए। -मनीष माथुर, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग, पाली
जिले में जलापूर्ति सूचारू रखने का पूरा प्रयास कर रहे है। जवाई के सैकण्ड डेड स्टारेज से पानी बहुत कम बार लिया गया है। बांध में पिछले तेरह साल में कितनी मिट्टी आई इसका अंदाज ही लगा सकते है। उसी के आधार पर सैकण्ड डेड स्टोरेज का पानी भी लेना होगा। इस समय लोगों को पानी का उपयोग कम से कम करना चाहिए। जिससे संकट काल निकल जाए। -मनीष माथुर, अधीक्षण अभियंता, जलदाय विभाग, पाली
इधर, फूटी पाइप लाइन
पाली शहर के बांडी नदी में जलदाय विभाग पाइप लाइन में लीकेज था, लेकिन उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। इसका परिणाम यह रहा कि बुधवार को पाइप लाइन फूट गई और पानी का तेज फव्वारा छूटा। इससे जल संकट काल में हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह गया।
पाली शहर के बांडी नदी में जलदाय विभाग पाइप लाइन में लीकेज था, लेकिन उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। इसका परिणाम यह रहा कि बुधवार को पाइप लाइन फूट गई और पानी का तेज फव्वारा छूटा। इससे जल संकट काल में हजारों लीटर पानी व्यर्थ बह गया।