दीपावली नजदीक है। मिठाई की मांग बढऩा लाजमी है। मांग अनुसार न तो मावा उपलब्ध रहता है और न ही दूध। इस सीजन में मिलावट की आशंका बढ़ जाती है। एेसे में स्वास्थ्य विभाग ने अभियान छेड़ रखा है। इसके तहत दशहरा बाद विभाग ने मिठाइयां, किराणा, घी-तेल, डेयरी, मावा सहित अन्य खाद्य वस्तुओं के नमूने लिए, लेकिन जांच रिपोर्ट आने तक लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो चुका होता है।
स्वास्थ्य विभाग ने जो अभियान छेड़ा है, इसके तहत अब तक तीस से अधिक सैम्पल लिए जा चुके हैं। इनकी जांच के लिए वर्तमान में जोधपुर संभाग मुख्यालय पर एक ही प्रयोगशाला है। वहां संभागभर से नमूने जांच के लिए आते हैं। एेसे में इनकी जांच रिपोर्ट दीपावली बाद आना ही संभव है। गत दिनों जालोर में एक और लैब का उद्घाटन किया गया, लेकिन आचार संहिता लगने के कारण स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो सकी, एेसे में यह लैब चालू नहीं हो पाई। वर्तमान में पाली में लिए गए खाद्य पदार्थों के नमूनों की जांच जोधपुर लैब में ही होगी।
हां यह सहीं है कि जो नमूने लिए है, इनकी जांच रिपोर्ट दीपावली बाद ही आएगी। प्रयोगशाला एक ही होने के कारण यह दिक्कत आती है। लेकिन नमूने फेल होने पर मुकदमा दर्ज करवाते हैं, कोर्ट के माध्यम से सजा भी मिलती है। – दिलीप सिंह यादव, फूड इंस्पेक्टर, पाली।