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Disability day 2020 : ‘कलंक नहीं है दिव्यांगता, सामाजिक बराबरी मिलेगी तो आगे बढ़ेंगे’

गेस्ट राइटर : वैभव भंडारी, सामाजिक कार्यकर्ता

पालीDec 03, 2020 / 09:48 am

Suresh Hemnani

Disability day 2020 : ‘कलंक नहीं है दिव्यांगता, सामाजिक बराबरी मिलेगी तो आगे बढ़ेंगे’

पाली। अंग्रेजी भाषा में निशक्त या विकलांग शब्द को परिभाषित किया जाता रहा है हैंडीकैप्ड और डिसेबल्ड द्वारा । 1960 के दशक में इसमें एक सकारात्मक बदलाव देखा गया जिसने आज के समय की क्रांति कि नींव स्थापित की। अमेरिका के डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी ने विकलांगों को सम्बोधित करने के लिए डिसेबल्ड जैसे नकारात्मक शब्द की जगह डिफरेंटली एबल्ड जैसे आशावादी शब्द से करने की शुरुआत की। नया संबोधन अपने पूर्ववती शब्द की तुलना में सामाजिक परिवेश में अधिक स्वीकार्य माना जाने लगा। नि:शक्तजनों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस समिति द्वारा किए गए एक बदलाव के कारण समाज का नजरिया परिवर्तित हुआ। फलस्वरूप, डिफरेंटली एबल्ड शब्द के माध्यम से व्यक्ति की कमियां नहीं अपितु उनकी क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित किया जाने लगा।
दिव्यांग लोगों के प्रति सामाजिक जागरूकता के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र हर साल 3 दिंसबर को विश्व दिव्यांग दिवस मनाता है। यूएन ने यह परंपरा साल 1992 से शुरू की है। समाज में आज भी दिव्यांगता को एक कलंक के तौर पर माना जाता है। ऐसे में लोगों में दिव्यांगता मामले की समझ बढ़ाने, दिव्यांगजनों के सामाजिक सम्मान की स्थापना, उनके अधिकारों और कल्याण पर ध्यान केंद्रित कराने के उद्देश्यों के लिए यह दिवस काफी महत्वपूर्ण है। इस साल की थीम दिव्यांग लोगों के समावेशी, सम्मान और सतत विकास को सशक्त करने पर केंद्रित है।
कलंक मिटाना उद्देश्य
दिव्यांग दिवस मनाने के पीछे दिव्यांगता को सामाजिक कलंक मानने की धारणा से लोगों को दूर करने का प्रयास है। इसे समाज में दिव्यांगों की भूमिका को बढ़ावा देने, उनकी गरीबी को कम करने, उन्हें बराबरी का मौका दिलाने तथा उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा पर ध्यान केंद्रित करने जैसी कोशिशों के लिए मनाया जाता है।
दिव्यांग व्यक्ति अधिकार, समान अवसर, अधिकार सुरक्षा और पूर्ण भागीदारी अधिनियम 2016 जो ऐसे लोगो को शिक्षा, रोजगार, अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण, सामजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करना है।
अंतरष्ट्रीय स्तर पर दिव्यांगजनों को एक समान अधिकार एव संरक्षण देने के लिए के भारत में भी दिसम्बर 2016 में संसद द्वारा दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 पारित किया गया। नियोजन में विभेद न करना, मतदान में पहुंच, उच्च शिक्षा संस्थाओं में आरक्षण, विशेष न्यायालय इत्यादि अधिकार प्रदान किए गए हैं।

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