डिस्कॉम का औसत, उपभोक्ता की आफत
पालीPublished: Aug 14, 2015 11:55:00 pm
डिस्कॉम की औसत प्रणाली ने
डिस्कॉम को तो नुकसान पहुंचाया ही है, साथ ही उपभोक्ता पर भार भी लादा है। डिस्कॉम
को लम्बे समय से सिंगल फेज
पाली। डिस्कॉम की औसत प्रणाली ने डिस्कॉम को तो नुकसान पहुंचाया ही है, साथ ही उपभोक्ता पर भार भी लादा है। डिस्कॉम को लम्बे समय से सिंगल फेज के मीटर उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। ऎसे में घरेलू बिजली मीटर औसत पर ही चल रहे हैं, हालांकि डिस्कॉम का दावा है कि मीटर की आपूर्ति में कुछ सुधार हुआ है।
डिस्कॉम प्रबंधन जहां प्रीपेड बिजली मीटर लगाने की तैयारी कर रहा है, वहीं पहले से लगे पोस्टपेड मीटर तक सुचारू नहीं चल रहे हैं। जिन उपभोक्ताओं के बिजली मीटर नए लगाए गए अब उनको 5 से 10 गुना तक बिल थमाया जा रहा है। ऎसे एक-दो नहीं, अभी भी करीब 2 हजार उपभोक्ता जिले में हैं, जो छह माह से भी अधिक समय से औसत रीडिंग से ही भुगतान कर रहे हैं।
केस – 1
हेमावास के रहने वाले धनाराम देवासी का चार माह तक घरेलू मीटर बंद रहा। कुछ दिन पहले मीटर तो शुरू कर दिया गया, लेकिन एकाएक 10 गुना बिजली का बिल पकड़ा दिया गया। औसत बिल जहां उनको 500 से 700 रूपए दिया जाता था तो अब एकाएक 4000 हजार से अधिक का बिल थमा दिया गया।
केस – 2
सर्वोदय नगर के रहने वाले राजेन्द्र शर्मा, जिनके घर का मीटर दिसम्बर 2014 में खराब हो गया था। इसके बाद उन्होंने मीटर बदलने का प्रार्थना पत्र पेश किया। डिस्कॉम ने शुल्क जमा करवाने का फरमान निकाला तो उन्होंने वह शुल्क भी जमा करवा दिया। इसके बाद भी आठ माह हो गए, इनके बिजली का मीटर नहीं लगा।
आंकड़ों में बात
जिले में घरेलू उपभोक्ता 4.25 लाख
बिजली मीटर बदलने योग्य उपभोक्ता 10 हजार से अधिक
करीब 2 हजार मीटर खराब जो छह माह से अधिक समय से पेंडिंग
प्रत्येक उपभोक्ता पर पड़ रहा दोगुना तक भार