जिस तरह श्रृंगार के बिना महिला खुद को अधूरा मानती हैं, ठीक उसी तरह सम्मान भी महिला का गहना है। जिस दिन महिलाओं को पूरा सम्मान और इज्जत मिलने लगेगी, सही मायने में उस दिन नवरात्र की पूजा-आराधना सफल हो सकेगी। यह कहना है महिला उद्यमी विनीता देवड़ा गहलोत का। देवड़ा हुंडई की डायरेक्टर देवड़ा का मानना है कि महिलाएं खुद को कम नहीं आंकें और डर को मिटा दें। इससे उनका हौसला हमेशा बना रहेगा। महिलाओं का सशक्त और आत्मनिर्भर बनना समाज की प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए महिलाओं को कॅरियर और शिक्षा पर पूरा फोकस करना चाहिए। महिलाएं यह भूल जाएं कि माता-पिता, भाई-बहन या अन्य कोई उनके लिए कुछ करेंगे। उन्हें खुद को योग्य और हुनरमंद बनाने में जुट जाना चाहिए।
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में हासिल किया मुकाम ऑटोमोबाइल क्षेत्र में गिनी-चुनी महिलाएं देखने को मिलेंगी। इसके बावजूद विनीता देवड़ा के जज्बे का ही परिणाम है कि ऑटोमोबाइल क्षेत्र में वह खुद को सफल महिला उद्यमी के रूप में स्थापित कर चुकी है। वह कंपनी का प्रबंधन संभालने के साथ-साथ सामाजिक रूप से भी पूरी सक्रिय है। लायंस क्लब समेत कई संगठनों के माध्यम से समाजसेवा में भी भागीदारी निभा रही है। उन्होंने कई पुरस्कार हासिल किए हैं। विद्याथी जीवन में भी वह प्रतिभाशाली रहीं।
हुनर को पेशन बनाएं महिलाएं जरूरी नहीं है कि कोई महिला किसी पद पर होगीं तभी सफल मानी जाएगी। लड़कियों और महिलाओं को अपना हुनर पहचान कर उसे पेशन बनाना चाहिए। वह घर बैठकर भी खुद को काबिल बना सकती है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां महिलाएं पीछे हों। व्यापार और राजनीति से लेकर हर क्षेत्र में महिलाओं ने खुद को साबित किया है। घुंघट प्रथा से निकल कर सेना की कमान संभाल रही है। समय के साथ कदम मिला कर आगे बढ़ रहीं है। वर्तमान में एकल परिवार का दौर है। घर-परिवार की जिम्मेदारी अकेले महिलाओं पर डालने की बजाय सामुहिक रूप से निभानी चाहिए। पत्नी और पति दोनों एक-दूसरे के सहयोगी बनें।