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सयाने घुडख़र, एक बार रास्ता दिखाने पर खुद ही पहुंच जाते हैं गंतव्य पर

locationपालीPublished: May 27, 2020 03:48:22 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– पाली जिले के रायपुर मगरा क्षेत्र का प्रजापत परिवार, जिसने गधों को किया प्रशिक्षित- तंग गलियों व दुर्गम मार्गों पर सामग्री आपूर्ति का जरिया

सयाने घुडख़र, एक बार रास्ता दिखाने पर खुद ही पहुंच जाते हैं गंतव्य पर

सयाने घुडख़र, एक बार रास्ता दिखाने पर खुद ही पहुंच जाते हैं गंतव्य पर

-श्याम शर्मा
पाली/रायपुर मारवाड़। गुजरात के कच्छ और सुरेन्द्र नगर जिले में घुडख़रों (गधों) के लिए वाइल्ड लाइफ सेंचुरी तक विकसित की गई है। जहां कच्छ के छोटे रण में कुलांचे भरते और तेज रफ्तार से दौड़ते इन घुडख़रों को देखा जा सकता है, तो पाली जिले के मगरा क्षेत्र के घुडख़रों की खासियत भी कुछ कम नहीं है। एक बार पीठ पर निर्माण सामग्री लादे जाने के बाद तो बगैर किसी के हांके ही कतार में तंग गलियों व दुर्गम मार्गों से ये अपने गंतव्य तक पहुंच जाते हैं।
हम बात कर रहे हैं सेंदड़ा के हापूराम प्रजापत की। ये 1990 से गधों के जरिए निर्माण सामग्री आपूर्ति कर रहे हैं। इनके पास वर्तमान में पांच गधे हैं। जिन पर ये निर्माण सामग्री लाद संबंधित व्यक्ति के यहां पहुंचाते हैं। इनके पिता भंवरलाल भी ये ही कार्य करते थे। अब हापूराम यह काम संभाल परिवार की आजीविका चला रहा है। हापूराम स्वयं साक्षर है, लेकिन शिक्षा का महत्व समझते हुए अपने तीन बच्चों को स्कू ल भेज आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं।
एक बार रास्ता बताने के बाद स्वयं पहुंच जाते
इस परिवार ने अपने गधों को इस कदर दक्ष कर दिया है कि एक बार निर्माण स्थल बताने के बाद अन्य फेरों में गधे स्वत: ही बगैर हांके निर्माण स्थल से सामग्री ढोने वाले ठिकाने पर पहुंच जाते हैं। हापूराम बताते हैं कि उन्होंने गधों को इस कदर प्रशिक्षित कर रखा है कि जहां सामग्री के आठ से दस फेरे लगाने होते हैं। वहां वे एक बार ही गधों के साथ आगे चलकर जाते हैं। उसके बाद शेष फेरों में गधे अपने आप ही वहां पहुंच जाते हैं। मकान मालिक सामग्री खाली कर देता है। इसके बाद गधे लौटकर उसी जगह पहुंच जाते हैं जहां से दुबारा सामग्री लादनी होती है।
तंग गलियों व दुर्गम मार्ग में सुविधा
हापूराम को सामग्री आपूर्ति का ऑर्डर वे लोग देते हैं, जिनका मकान या तो तंग गली में है या पहाड़ी क्षेत्र के दुर्गम मार्ग पर है। जहां ट्रेक्टर-ट्रोली या जीप नहीं पहुंच पाती है, वहां गधे पर ही सामग्री लाद पहुंचाई जाती है। वे सेंदड़ा, केसरपुरा, रामगढ़, चिताड़ सहित आस-पास के गांवों में सामग्री आपूर्ति के लिए जाते हैं। गर्मी के दिनों में गधे बीमार न हो, इसके लिए सुबह 7 से दोपहर 12 बजे तक ही आपूर्ति का काम करवाते हैं।
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