स्कूल खुलने से बहुत राहत मिली है। बच्चे भी खुश है। अभी आर्थिक संकट जरूर है, लेकिन वह धीरे-धीरे दूर होने की आस है। छोटी कक्षाओं का शुरू होना बहुत जरूरी है। सरकार को ऐसा रास्ता निकालना चाहिए। जिससे अभिभावकों से कोरोना काल की फीस नहीं मांगनी पड़े। आरटीइ का पैसा भी देना चाहिए। –प्रदीप दवे, संचालक, फादर्स चिल्ड्रन स्कूल, पाली
अभिभावकों के साथ शिक्षकों में सोशल मीडिया पर चल रही खबरों के कारण थोड़ा असमंजस जरूर है, लेकिन वे बच्चों को स्कूल भेज रहे है। पोर्टल पर 12वीं के बच्चे नहीं चढ़ा पा रहे हैं। कई लोगों की पिछले सत्र की फीस भी बाकी है। बच्चे अभी पूरे नहीं आ रहे, हम अभिभावकों को प्रेरित कर रहे हैं। –हिम्मतसिंह, संचालक, मधुरम स्कूल, पाली
स्कूल खुलने से अब खुशी है, लेकिन असमंजस है कि कही फिर कोई संकट नहीं आ जाए। कोरोना काल में आर्थिक संकट से अभी तक जूझ रहे हैं। उस समय फैक्ट्री तक में काम किया। अब स्कूल खुलने से फिर शिक्षण कार्य करने में लग गया हूं। –भीमराज चौधरी, निजी स्कूल शिक्षक
स्कूल खुलने के बाद 60-70 प्रतिशत बच्चे तो आना शुरू हो गए है। कोरोना के समय से लेकर अब तक का समय आर्थिक संकट में गुजरा है। अब स्कूल खुलने से पढ़ाई अच्छी होगी। फीस अभी तक जरूर कम आ रही है। इसके लिए अभिभावकों से बात कर रहे है। –छोगाराम देवासी, संचालक, सुदर्शन स्कूल, पाली
स्कूल खुलने की खुशी हमसे ज्यादा बच्चों में है। वे स्कूल में पूरी तरह कोरोना गाइड लाइन का पालन स्वयं ही कर रहे हैं। जो शिक्षक अब तक घर पर बैठे थे। स्कूल आने पर उनकी आंखों से खुशी के आंसू झलक आए। वे पूरी लगन के साथ बच्चों को पढ़ाने में भी जुट गए है। –राजेन्द्रसिंह, संचालक, वंदेमातरम् स्कूल, पाली