scriptमोबाइल गेम खतरनाक, बच्चे हो रहे हिंसक | Effects of mobile games and social media on children's mental health | Patrika News

मोबाइल गेम खतरनाक, बच्चे हो रहे हिंसक

locationपालीPublished: Jun 25, 2022 12:56:51 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-मोबाइल गेम व सोशल मीडिया से बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव-बच्चों का बदल रहा व्यवहार

मोबाइल गेम खतरनाक, बच्चे हो रहे हिंसक

मोबाइल गेम खतरनाक, बच्चे हो रहे हिंसक

पाली। मोबाइल के अधिक उपयोग से बच्चों में इस तरह की मनोवृत्ति आ रही है कि वह अपनों से दूर होता जा रहा है। गुस्सा अधिक करता है। मारपीट करने को उतारू हो जाता है। पढ़ाई की तरफ ध्यान नहीं दे रहे हैं। ये तो दो उदाहरण मात्र है। ऐसे केस बांगड़ चिकित्सालय के मनोरोग चिकित्सकों के पास रोजाना आ रहे हैं। इन सब में बड़ा कारण मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलना व वीडियो देखना है। मोबाइल पर आने वाले हिंसक खेलों के कारण बच्चों की मनोवृत्ति अधिक प्रभावित हो रही है। इसके अलावा आपत्तिजनक वीडियो के साथ अन्य सामग्री भी मनोदशा पर विपरीत प्रभाव डाल रहे हैं।
इस तरह से आता है बदलाव
मोबाइल पर अधिक हिंसक गेम खेलने और आपत्तिजनक सामग्री देखने के बाद बच्चा अकेला रहना पसंद करने लगता है। छोटी-छोटी बातों पर नाराज होता है। गुस्सा अधिक करता है। मोबाइल हाथ से लेते ही गुस्सा करता है या तोडफोड़ करने की कोशिश करता है। मारपीट करता है। ऑफलाइन अध्ययन शुरू होने के बावजूद किताबों के बजाय मोबाइल से पढ़ाई करने का बहाना करता है। विशेषज्ञों के अनुसार ऐसे में साइक्रेटिस्ट की सलाह से बच्चों की काउंसलिंग कर और घर का माहौल बदलकर उनको कुछ समय में ठीक किया जा सकता है।
केस 1 : 11 वर्ष का एक बच्चा पिछले 3-4 माह से चिड़चिड़ा हो गया। पढ़ाई करना बंद कर दिया। अपनी उम्र के बच्चों के साथ खेलने भी नहीं जाता। कई बार अपने भाई-बहनों के साथ बिना वजह मारपीट करने लगा। माता-पिता से बहस करता और हर बात की जिद करने लगा। वह दिन भर मोबाइल गेम खेलता है और वीडि़यो देखता रहता।
केस 2 : 13 वर्ष का एक बच्चा गर्मी की छुट्टियां व उससे पहले कोरोना काल में मोबाइल का आदी हो गया। वह मोबाइल पर हर समय वीडियो व अन्य सोशल मीडिया की सामग्री देखता रहता। इसके बाद बच्चा परिवार के लोगों के साथ ही आपत्तिजनक हरकतें करने लगा। वह उनको बार बार छूने की कोशिश करता है और आपत्तिजनक बातें करने लगा। चिड़चिड़ा हो गया।
एक्पर्ट का कहना
यह करना चाहिए माता-पिता को
1. बच्चों को समय दें, उनके साथ आउट डोर खेल खेलें, उनसे बात करें। उनको अपनी बात बताने का मौका और माहौल दें।
2. अभिभावक स्वयं मोबाइल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का सीमित उपयोग करें, क्योंकि बच्चे वही करते हैं, जो वे आस-पास देखते है।
3. बच्चों की हर गतिविधि का ध्यान रखे। यह देखें कि वह मोबाइल पर किस तरह के कंटेंट देख रहा है। चाइल्ड लॉक आदि का उपयोग कर मोबाइल के कंटेंट पर पूरी तरह से नियंत्रित रखना जरूरी है।
4. बच्चे के व्यवहार में बदलाव आने की शुरुआती अवस्था में ही विशेषज्ञ से परामर्श ले।
5. बच्चा जिद एवं असामान्य व्यवहार कर रहा है तो उसे फिजिकल दण्ड देने या डांटने के बजाय अपने मन की बात/ समस्या बताने के लिए प्रेरित करें। –डॉ. अंकित अवस्थी, सह आचार्य व विभागध्यक्ष मनोरोग विभाग, मेडिकल कॉलेज, पाली
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