हालांकि उनका यह त्याग बाबूलाल की जान नहीं बचा सका, लेकिन लेहर कंवर ने यह सीख जरूर दी कि विपदा की इस घड़ी में सेवा का एक क्षण भी नहीं गंवाना चाहिए। अस्पताल में भर्ती लेहर कंवर व उनके पति भंवरसिंह को शनिवार शाम तक इस बात की जानकारी तक नहीं थी कि उन्होंने जिस युवक के लिए बेड छोड़ा था। वह संसार को अलविदा कह चुका है। उनके मन में तो एक संतोष था कि वे विपदा में किसी के काम आए।
बेड छोड़ते समय उनके साथ रहे किशोर सोमनानी ने बताया कि लेहर कंवर की स्थिति में काफी सुधार हुआ है। उनका ऑक्सीजन लेवल 98 पर रहा है। वे पहले की तुलना में काफी स्वस्थ भी लग रही थी।