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अतीत की सुनहरी यादें : देशवासियों ने बजाए थे ढोल-थाली, रावळे में मनाया था जश्न

locationपालीPublished: Jan 26, 2021 01:19:11 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

-पहले गणतंत्र दिवस की यादें संजोए हैं शहर के बुजुर्ग-ग्रामीण क्षेत्र में थी तिरंगा लहराने की खुशी

अतीत की सुनहरी यादें : देशवासियों ने बजाए थे ढोल-थाली, रावळे में मनाया था जश्न

अतीत की सुनहरी यादें : देशवासियों ने बजाए थे ढोल-थाली, रावळे में मनाया था जश्न

पाली। देश का संविधान लागू होने पर जब पहली बार 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस मनाया गया था तो देशवासियों में उत्साह था। उस समय संचार के साधन तो बहुत कम थे। इस कारण लोगों को दूसरी जगह क्या हुआ यह तो पता नहीं था, लेकिन गांवों के स्कूल में तिरंगा लहराया गया था। इसके बाद गांवों के रावळे में जश्न हुए थे। वहां गांव के सभी लोग एकत्रित हुए थे। बुजुर्गों की माने तो पहले गणतंत्र दिवस पर कई लोगों को तो इस बात की जानकारी भी नहीं थी कि यह दिन क्यों मनाया जा रहा है, लेकिन वे इस बात को लेकर जरूर खुश थे कि देश आजाद है और कुछ नया हुआ है।
ग्रामीणों पता नहीं था 15 अगस्त व 26 जनवरी का अंतर
बुजुर्ग भागीरथ व्यास का कहना है कि पहला गणतंत्र दिवस मनाने के समय वे 18 वर्ष के थे। वे जुलाई 1950 में अध्यापक बन गए थे। उनका कहना है कि उस समय मैं रोहट में रहता था। वहां स्कूल में सरपंच, गांव चौधरी की मौजूदगी में तिरंगा लहराया था। सरपंच ने बच्चों को लड्डू बांटे थे। रावळे में लोग एकत्रित हुए थे। वहां जश्न मनाया गया था। उनका कहना है कि उस समय भूपश्री उम्मेद का सा सम सदा सुखधाम हो विश्वभर में मरुधरा की कीर्ति हो, शुभ नाम हो… गीत गाया गया था।
लोगों में जबरदस्त उत्साह था, वैसा आज नहीं
जीवन के 90 बसंत देख चुके रामप्रताप व्यास बताते है कि पहले गणतंत्र दिवस के समय उत्साह बहुत था। वैसा आज नहीं है। हालांकि कई लोगों को गणतंत्र दिवस का अर्थ पता नहीं था, लेकिन वे तिरंगा लहराते देखकर खुशी से फूले नहीं समाते थे। वे बताते है पहले गणतंत्र दिवस पर वे पालनपुर में कांस्टेबल थे। उनकी पत्नी भगवती व्यास बताती है कि पहले गणतंत्र दिवस के समय वे आउवा में रहती थी। उस समय लोगों ने एक चौक में तिरंगा लहराया था। मिठाई खिलाई गई थी। बच्चों के साथ ग्रामीणों ने सलामी दी थी।

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