बुजुर्ग भागीरथ व्यास का कहना है कि पहला गणतंत्र दिवस मनाने के समय वे 18 वर्ष के थे। वे जुलाई 1950 में अध्यापक बन गए थे। उनका कहना है कि उस समय मैं रोहट में रहता था। वहां स्कूल में सरपंच, गांव चौधरी की मौजूदगी में तिरंगा लहराया था। सरपंच ने बच्चों को लड्डू बांटे थे। रावळे में लोग एकत्रित हुए थे। वहां जश्न मनाया गया था। उनका कहना है कि उस समय भूपश्री उम्मेद का सा सम सदा सुखधाम हो विश्वभर में मरुधरा की कीर्ति हो, शुभ नाम हो… गीत गाया गया था।
जीवन के 90 बसंत देख चुके रामप्रताप व्यास बताते है कि पहले गणतंत्र दिवस के समय उत्साह बहुत था। वैसा आज नहीं है। हालांकि कई लोगों को गणतंत्र दिवस का अर्थ पता नहीं था, लेकिन वे तिरंगा लहराते देखकर खुशी से फूले नहीं समाते थे। वे बताते है पहले गणतंत्र दिवस पर वे पालनपुर में कांस्टेबल थे। उनकी पत्नी भगवती व्यास बताती है कि पहले गणतंत्र दिवस के समय वे आउवा में रहती थी। उस समय लोगों ने एक चौक में तिरंगा लहराया था। मिठाई खिलाई गई थी। बच्चों के साथ ग्रामीणों ने सलामी दी थी।