पं. शंभुलाल शर्मा ने बताया कि एक मळ मास तो समाप्त हो गया है। एक मळ मास 13 मार्च से 14 अप्रेल तक रहेगा। ऐसे में उस समय भी किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए। वैसे इस समय में तारा भी अस्त रहेगा। जो शुभ कार्य करने के लिए वर्जित ही माना गया है। यदि किसी व्यक्ति के अति आवश्यक हो तो तारा अस्त होने पर भी वह बिना पंडित को पूछे अबुझ मुहूर्त में विवाह आदि करवा सकते हैं, लेकिन शास्त्रानुसार तारा अस्त होने का समय शुभ कार्य का नहीं माना जाता है। व्रत उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं।
पं. सत्यनारायण शर्मा के अनुसार शुभ कार्य में विवाहोत्सव ही नहीं है। इसमें मुंडन, सगाई, गृहारंभ, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान आदि के मुहूर्त के साथ व्रत शुरू करना व व्रत का उद्यापन करना भी वर्जित माना गया है।