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गुरु व शुक्र का तारा अस्त, मकर संक्रांति के बाद भी नहीं होंगे विवाहोत्सव

locationपालीPublished: Jan 17, 2021 11:26:35 am

Submitted by:

Suresh Hemnani

-मकर संक्रांति के बाद इस बार बनी है शुभ कार्य नहीं होने की स्थिति-अप्रेल तक अस्त रहेगा शुक्र

गुरु व शुक्र का तारा अस्त, मकर संक्रांति के बाद भी नहीं होंगे विवाहोत्सव

गुरु व शुक्र का तारा अस्त, मकर संक्रांति के बाद भी नहीं होंगे विवाहोत्सव

पाली। मळ मास के समाप्त होने पर मकर संक्रांति से हर गली-मोहल्ले में शहनाई गूंजने लगती है। ऐसी शहनाई पिछले साल कोरोना के कारण नहीं गूंजी थी। इस बार हालात गुरु व शुक्र ने बदल दिए। संक्रांति के जाते ही 17 जनवरी से गुरु तारा अस्त हो रहा है। जो 15 फरवरी तक अस्त रहेगा। इस कारण से शुभ कार्य वर्जित माने गए है। गुरु का तारा उदय होते ही 16 फरवरी से शुक्र का तारा अस्त हो जाएगा। जो 18 अप्रेल तक अस्त रहेगा। ऐसे में इन दोनों काल में विवाह के साथ अन्य शुभ मुहूर्त नहीं किए जा सकेंगे। जिसके कारण विवाहोत्सवों के व्यवसाय से जुड़े लोगों व श्रमिकों पर कोरोना के बाद दूसरी बार आर्थिक संकट के बादल मंडरा रहे है।
13 मार्च से 14 अप्रेल तक भी शुभ कार्य वर्जित
पं. शंभुलाल शर्मा ने बताया कि एक मळ मास तो समाप्त हो गया है। एक मळ मास 13 मार्च से 14 अप्रेल तक रहेगा। ऐसे में उस समय भी किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाना चाहिए। वैसे इस समय में तारा भी अस्त रहेगा। जो शुभ कार्य करने के लिए वर्जित ही माना गया है। यदि किसी व्यक्ति के अति आवश्यक हो तो तारा अस्त होने पर भी वह बिना पंडित को पूछे अबुझ मुहूर्त में विवाह आदि करवा सकते हैं, लेकिन शास्त्रानुसार तारा अस्त होने का समय शुभ कार्य का नहीं माना जाता है। व्रत उद्यापन आदि वर्जित रहते हैं।
यह कार्य नहीं होते है
पं. सत्यनारायण शर्मा के अनुसार शुभ कार्य में विवाहोत्सव ही नहीं है। इसमें मुंडन, सगाई, गृहारंभ, गृह प्रवेश, प्रतिष्ठान आदि के मुहूर्त के साथ व्रत शुरू करना व व्रत का उद्यापन करना भी वर्जित माना गया है।
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