ऐतिहासिक पुरा स्थलों में से एक जूनाखेड़ा नाडोल की खुदाई के बाद से ही ये तो स्पष्ट हो चुका है कि ये पुरातात्विक स्थल एक हजार साल से भी पुराना है। 2019 में उत्खनन अधिकारियों ने यहां खुदाई की, उस खुदाई में मिले अवशेषों के बाद उत्खनन अधिकारी दावा कर रहे हैं कि जूना खेड़ा नाडोल 1000 वर्ष नहीं बल्कि 1500 वर्ष पहले से बसा हुआ था।
यहां पर उत्खनन में सभ्यताओं के दस्तावेज स्वरूप कई साक्ष्य मिले थे, जिसमें सिक्के, शिलालेख, विध्वंस हो चुके मंदिर , नर कंकाल, ईंटों से बने पक्के फ र्श, कमरे शामिल है। साथ ही यज्ञ वेदी, मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े, अष्टधातु की मूर्तियां आदि भी मिले हैं। साथ ही सरस्वती की प्रतिमा, भगवान इंद्र की प्रतिमा, स्थानक पुरुष, नारी मुद्रा में 9वीं शताब्दी के महिषासुर मर्दिनी, सूर्य मंदिर के अवशेष प्रमुख रूप से मिले थे।
जूना खेड़ा में पुरातत्व विभाग ने सबसे पहले 1990 में उत्खनन कार्य शुरू किया था। इसके बाद 1991, 1992 व 1996 में वैज्ञानिक पद्धति से उत्खनन करवाया गया। फिर जनवरी 2019 से 30 अप्रेल 2019 तक खुदाई कार्य चला।
प्राचीन जूना खेड़ा नाडोल की खुदाई को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग दिल्ली ने आदेश जारी कर दिए हैं। ये तीसरी बार खुदाई होगी। यहां पुरा सभ्यता के गौरवमयी अवशेष दबे हैं। फरवरी में यहां पर फिर से उत्खनन कार्य शुरू हो जाएगा। –डॉ. विनीत गोधल, खोज व उत्खनन अधिकारी, पुरातत्व संग्रहालय विभाग, जयपुर