सोजत रोड कस्बे के निकटवर्ती गांव मुसालिया निवासी चालीस वर्षीय घेवरराम पुत्र मिश्रीलाल गांव में दिहाड़ी मजदूरी करता था। पिता व भाई की मृत्यु के बाद घेवरराम इकलौता परिवार का पालनहार था। दो दिन बीमार रहने के बाद रविवार को घेवरराम हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गया। पीछे उसकी आठ मासूम बेटियां सिर से पिता का साया उठ जाने के कारण अनाथ हो ग्ई। विधवा हो चुकी इंद्रादेवी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उनका रो-रोकर बुरा हाल हो गया है। जिसे आसपास की महिलाएं संभाल रही हैं। परिवार में एकमात्र कमाने वाले मुखिया की मौत के बाद अब आठ बच्चियों की जिम्मेदारी विधवा इंद्रादेवी पर आ पड़ी है।
रहने को छत भी नहीं
घेवरराम का परिवार मुसालिया में टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता है। मौत के बाद अनाथ हो चुकी बच्चियों एवं परिवार को कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
घेवरराम का परिवार मुसालिया में टूटी-फूटी झोपड़ी में रहता है। मौत के बाद अनाथ हो चुकी बच्चियों एवं परिवार को कोई भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है।
ग्रामीण कर रहे मदद की गुहार
वार्डपंच भुवनेश कुमार व भेराराम प्रजापत ने बताया कि घेवरराम चौकीदार के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। आकस्मिक मृत्यु हो जाने से घेवरराम के परिवार के खाने के भी लाले पड़ ग्ए हैं। ऐसे में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों व भामाशाह से परिवार की आर्थिक सहायता की गुहार लगा रहे हैं।
वार्डपंच भुवनेश कुमार व भेराराम प्रजापत ने बताया कि घेवरराम चौकीदार के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। आकस्मिक मृत्यु हो जाने से घेवरराम के परिवार के खाने के भी लाले पड़ ग्ए हैं। ऐसे में ग्रामीण जनप्रतिनिधियों व भामाशाह से परिवार की आर्थिक सहायता की गुहार लगा रहे हैं।