मूंग की फसल पके हुए काफी समय हो गया है। सरकार ने एक नवम्बर से समर्थन मूल्य पर 868 से अधिक खरीद केन्द्रों पर मूंग की खरीद करना तय किया। जबकि हर वर्ष पन्द्रह अक्टूबर के आसपास खरीद शुरू हो जाती है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। इधर, रबी की बुवाई शुरू हो गई है। किसानों को रुपए की जरूरत है। सरकार मूंग खरीद में पहले से पन्द्रह से बीस दिन की देरी कर चुकी है और खरीद के बाद भुगतान भी देरी से आएगा। ऐसे में किसान अपना माल बाजार में कम दाम में बेचने को मजबूर है। इस बार समर्थन मूल्य पर मूंग के लिए 7275 रुपए तय किए गए है। किसानों को हर क्विंटल पर एक से दो हजार रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
इस बार किसानों की मूंग की फसल प्रदेश में कई जगहों पर पकने पर हुई बरसात से मूंग का कलर भी बिगड़ा है। इससे किसान पहले से दुखी है। अब खरीद में देरी उनका दर्द बढ़ा रही है। किसानों ने मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीद जल्द करने की सरकार से मांग की थी, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई।
पाली में इस बार मूंग खरीद व परिवहन को लेकर सतर्क रहना होगा। गत वर्ष पाली जिले के जैतारण में मूंग खरीद व परिवहन के दौरान बड़ा घोटाला हुआ था, इससे सरकार को करोड़ों का नुकसान भी हुआ था, इसको देखते हुए इस बार खरीद एजेंसियों को सतर्कता बरतनी होगी।
यह सही है कि पिछली बार पाली में खरीद व परिवहन के दौरान घोटाला हुआ था। इस बार विशेष सतर्कता बरती जा रही है। पाली में 15 मूंग खरीद के केन्द्र है। प्रदेश भर में एक नवम्बर से खरीद शुरू होगी। – ओमपाल सिंह भाटी, डिप्टी रजिस्ट्रार, सहकारी समितियां, पाली।
हर बार 15 अक्टूबर से मूंग की आवक शुरू हो जाती है। इसी दौरान सरसों की बिजाई शुरू हो जाती है। किसानों को रबी बिजाई के लिए व त्योहार के समय नकदी आवश्यकता के चलते फसल तैयार होते ही बेचने की जरूरत होती है। ऐसे में खरीद के गुणवत्ता, मापदण्ड की दिक्कतों व खरीद में देरी के कारण समर्थन मूल्य खरीद के प्रति आशंकित होकर किसान अपनी मूंग की फसल 3500 से 6000 रुपए में बाजार में बेचने को मजबूर हो रहे है। गुणवत्ता मापदंड में छूट देकर समय पर खरीद शुरू होती तो अकाल के चलते उत्पादन में हुई कमी से नुकसान झेल रहे किसानों को कुछ राहत मिल सकती थी। – तुलछाराम सिंवर, आंदोलन प्रमुख, भारतीय किसान संघ, जोधपुर प्रांत