स्वीकृति के साथ ही फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की इजाजत लेनी होती है।
इसके साथ ही फायर स्टेशन प्रभारी से इसकी जांच करवाने के बाद नगर परिषद
से फायर की एनओसी लेना आवश्यक है, लेकिन अधिकतर बिल्डर, काम्पलेक्स मालिक
एनओसी नहीं लेते। बिना एनओसी के बहुमंजिला इमारतों में रहवास तक नहीं
किया जा सकता है।
नगर परिषद के पास छह फायर बिग्रेड हैं। ये चालीस फीट की ऊंचाई तक की
इमारतों में आग बुझा सकती है। नगर परिषद के पास छह व रीको औद्योगिक
क्षेत्र में दो दमकल है। इनमें से शहर के भीतरी भाग में आगजनी होने पर
तीन दमकले ही मौके पर पहुंच सकती है। इन दमकलों से 40 फीट की ऊंचाई तक ही
आग बुझाई जा सकती है। उससे अधिक ऊंचाई पर आग लगने की घटना होने पर जोधपुर
से मदद लेनी पड़ती है।
आग लग गई थी। जिसमें तीन-चार करोड़ का नुकसान हुआ था। भीतरी बाजार की तंग
गलियों से होकर मौके पर पहुंचने पर दमकलों को पहुंचने तक में परेशानी का
सामना करना पड़ा था।
में करीब 70 लाख से अधिक का नुकसान का आंकलन किया गया था। उस समय भी दमकल
को अतिक्रमण से संकरी हुई सडक़ के कारण मौके पर पहुंचने में दिक्कतों का
सामना करना पड़ा था। उस समय भी शहर के भीतरी बाजार को अतिक्रमण से मुक्त
करने एवं दुकानों के आगे लगे तिरपालों को हटाने की बात उठी थी लेकिन
जिम्मेदारों ने प्रभावी कार्रवाई नहीं की।
बहुमंजिला इमारतों में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि आगजनी की घटना होते ही
तुरंत नगर परिषद के अग्निशमन केन्द्र तक सूचना पहुंचे। फायर फाइटिंग
सिस्टम के तहत कम से कम एक ब्लॉक में चार एबीसी गैस सिलेंडर हो। आग
बुझाने के लिए डीसीपी (ड्राई केमिकल पाउडर), शॉट सर्किट से लगने वाली आग
को बुझाने के लिए सीओ-टू गैस के सिलेंडर की भी व्यवस्था होनी चाहिए। इसके
साथ ही एक अंडर टैंक एवं एक ओवर टैंक होना चाहिए। इसमें से एक टैंक
अग्निशमन व्यवस्था के पाइपों की प्रणाली से जुड़ा हो।