ग्रीन पाली-क्लीन पाली की तरफ बढ़ते कदम
एमवीआर तकनीक के एक प्लांट की आरंभिक सफलता के बाद कपड़ा इंडस्ट्री के कदम ग्रीन पाली क्लीन पाली की तरफ तेजी से बढऩे शुरू हो गए हैं। एक के बाद एक उद्यमियों के आगे आने से भविष्य में सभी इकाइयों के इस तकनीक से जुडऩे की संभावनाओं को भी बल मिला है। यदि एेसा संभव हुआ तो रासायनिक पानी ट्रीट की समस्या स्वत: ही खत्म हो जाएगी। इस तकनीक में रासायनिक पानी को भाप बनाकर टैंक में उड़ाया जाता है। भाप बनकर शुद्ध हुआ वही पानी फिर से उपयोग में लिया जाता है। प्रदूषण का दंश झेल रही कपड़ा इंडस्ट्री के भविष्य के लिए यह सुनहरा संकेत माना जा रहा है।
सरकार की मदद से हो सकता है समाधान
एमवीआर तकनीक का प्लांट लगाने के लिए कई उद्यमी कतार में है। सरकार की आर्थिक मदद से प्रदूषण की समस्या का समाधान शीघ्रता से हो सकता है। उद्यमियों का मानना है कि यदि राज्य सरकार प्लांट लगाने के लिए ५० फीसदी सब्सिडी उपलब्ध कराए तो उद्यमी आसानी से हिम्मत जुटा सकेंगे। चूंकि यह प्लांट बिजली से चलता है। इसलिए प्लांट पर खर्च होने वाली बिजली पर भी ५० फीसदी सब्सिडी की उद्यमियों को दरकार है। उद्यमियों का कहना है कि पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार ने २०१३ में जेडएलडी के लिए ५० फीसदी सब्सिडी का प्रावधान किया था, लेकिन भाजपा सरकार ने यह राशि २५ लाख तक सीमित कर दी थी। इससे उद्यमी आर्थिक भार सहन कर नहीं कर पाए। यदि अब सब्सिडी बढ़ाई जाए तो पाली की कायापलट हो सकती है।
वर्तमान स्थिति
-प्रतिदिन 12 घंटे निर्धारित क्षमता से आधी चलती है इकाइयां
-एक माह में 22 दिन ही उत्पादन
-१० हजार करोड़ का टर्नओवर घटकर ७ करोड़ तक पहुंचा
-आधी क्षमता में चलने से मार्केट प्रभावित
-रोजगार की समस्या भी मुंह बाएं खड़ी
-प्रदूषण की समस्या के कारण उद्यमियों का पलायन जारी
-रोजगार के अभाव में श्रमिकों का भी पलायन
-प्रदूषण नियंत्रण मंडल की तलवार हर समय लटकी
तकनीक के लाभ
-24 घंटे चलेंगे इकाइयां
-समूचे कपड़ा उद्योग का सालाना टर्नओवर १५ हजार करोड़ तक पहुंच सकेगा
-प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगी
-18 फीसदी पानी का रीयूज
-पानी पर खर्च होने वाले पैसे की भी बचत होगी
-स्लज निस्तारण की समस्या भी नहीं रहेगी
-प्रदूषण से परेशान उद्यमियों का पलायन थमेगा
-कपड़ा उद्योग का नूर लौटेगा
-इकाइयों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
-चेंज ऑफ मशीनरी की संभावना भी बढ़ेगी