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चार मासूमों को गर्म सरिए से दागा, अब मौत से जंग

locationपालीPublished: Oct 13, 2018 01:09:14 am

Submitted by:

Satydev Upadhyay

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चार मासूमों को गर्म सरिए से दागा, अब मौत से जंग

चार मासूमों को गर्म सरिए से दागा, अब मौत से जंग

निमोनिया (श्वास) व सेप्सिस की शिकायत पर सीने व पेट पर गर्म सरिए से दागा
सादड़ी (पाली) @ पत्रिका . मारवाड़-गोडवाड़ के गांवों में लोग अंधविश्वास व रूढ़ीवादी परम्पराओं से ऊपर नहीं उठ पाए हैं। छोटी-मोटी बीमारी में भी अंधविश्वास के चलते नवजात को डामने (गर्म सलाखों से दागना) तक से लोग नहीं हिचकिचा रहे। जबकि, पहले भी एेसी रूढि़यां कई नवजात को अकाल मौत का शिकार बना चुकी है। पिछले २० दिन में दो माह से एक साल तक के चार नवजात सादड़ी सीएचसी अस्पताल में भर्ती किए जा चुके हैं। उनमें से दो नवजात को छुट्टी दे दी गई है। लेकिन, दो चिन्ताजनक हालत में भर्ती हैं। बताया तो ये भी जा रहा है डाम लगाने से करीब एक माह पूर्व एक नवजात की मौत तक हो चुकी है। दरअसल, क्षेत्र के राजपुरा, माण्डीगढ़, जाटों का गुड़ा, मुठाणा, जोबा, अलसीपुरा, जूणा, भादरास सहित निकटवर्ती आधा दर्जन गांवों में इस तरह की रूढ़ीवादी परम्पराएं गहरी जड़े किए हुए हैं। यहां नवजात बच्चों में हल्का सा बुखार, पेटदर्द, सर्दी, जुकाम या श्वांस, न्यूमोनिया की शिकायत पर लोग भोपाजी का देवरा धोक लगा रहे हैं। यहां भोपाजी स्वस्थ करने का दावा करने के नाम पर इन अबोध बच्चों के छाती व पेट पर गर्म लोहे के सरिए से दाग (डाम/दागना) लगा रहे हैं। चिंता की बात तो ये है कि जब बच्चे की तबीयत ज्यादा खराब हो जाती है, तब जाकर परिजन नवजात को लेकर अस्पताल पहुंचते हैं। राजपुरा व जाटों गुड़ा से पिछले 20 दिनों से अब तक ऐसे चार केस यहां पहुंचे हैं। जिन्हें न्यूमोनिया (श्वांस) के साथ सेप्सिस रोग की शिकायत थी। लेकिन, अन्हें अन्धविश्वास के चलते डाम लगा दिया। फिलहाल इन बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के एनबीएस यूनिट में भर्ती करवाया गया है।
जरूरत तो चिकित्सक से उपचार की थी
अब तक यहां जाटों गुड़ा से अमेश पुत्र बाबूलाल जाट, राजपुरा की आस्था व प्रसूता सन्तोष के नवजात को डाम लगाने के बाद हालत बिगडऩे पर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। ये उपचाराधीन हैं। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेन्द्रसिंह राठौड़ बताते हैं कि ये सभी नवजात न्यूमोनिया (श्वास)व सेप्सिस रोगग्रस्त हैं। जिन्हें दाजना की बजाय कुशल चिकित्सक से उपचार की जरूरत है।

जागरूकता की जरूरत
आमजन में जागरूकता को बढ़ावा मिलना चाहिए ताकि ऐसे अन्धविश्वास व कुरीतियों में कमी आए। किसी नवजात की जान पर नहीं बने। अक्सर सादड़ी सीएचसी पर प्रतिमाह 5-7 ऐसे केस पहुंच रहे हैं।
डॉ. राजेन्द्रसिंह राठौड़, शिशु रोग विशेषज्ञ, सीएचसी, सादड़ी
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