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बप्पा के विसर्जन को लेकर अब तीसरा नियम, पिछले साल तक बताते रहे दो खतरे, उनका भी नहीं निकला हल

– गणपति विसर्जन का दौर हुआ शुरू, हर साल प्रदूषण नियंत्रण मंडल आंकड़े लेकर बताता है हकीकत

पालीSep 01, 2017 / 11:32 am

rajendra denok

ganpati festival

पाली.
गणपति विसर्जन को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सख्ती और तमाम तरह के पर्यावरण संरक्षण के दावों के बीच गणेश विसर्जन का दौर शुरू हो गया है। गुरुवार से कई लोग लाखोटिया तालाब के तीसरे भाग में गणेश घाट पर विसर्जन करने पहुंच गए। यही दौर गांवों में भी शुरू हो गया है। प्रशासन कई प्रकार की अपील और दावे कर रहा है, लेकिन इसका असर होता नहीं दिख रहा।
पीओपी से बनी इन मूर्तियों के विसर्जन से पानी में जो खतरा पैदा होता है वह ऑक्सीजन की कमी और टोटल सस्पेंडेड सॉलिड का है। पत्रिका ने आंकड़ों का विश्लेषण किया और विशेषज्ञों से जाना कि किस प्रकार उन जलस्र्रोतों की मॉनिटरिंग की जाती है जहां कि इन मूर्तियों का विसर्जन होता है। पाली में लाखोटिया तालाब के उस हिस्से को मॉनिटर किया जाता है जहां कि विसर्जन होता है। इसके लिए तीन प्रकार से आंकड़े भी लिए जाते हैं। इनमें विसर्जन से दो दिन पहले, विसर्जन के समय, विसर्जन के 24 घंटे बाद और विसर्जन के सात दिन बाद के आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है।
पिछले साल घातक था घुलनशील ऑक्सीजन का आंकड़ा

पानी में घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा 4 मिलीग्राम प्रति लीटर से नीचे जाना जलीय जीवों के लिए खतरनाक है। पिछले बार यह आंकड़ा चार तक पहुंचा था। इससे पहले के सालों में सिरेघाट वाले क्षेत्र में विसर्जन होने पर यहां यह आंकड़ा 4 से भी नीचे गया था। इसके परिणाम स्वरूप कई मछलियां भी मरी थी।
सस्पेंडेड सॉलिड से पानी बनता हानिकारक

पानी में पीओपी की यह मूर्तियां दूसरा बड़ा खतरा टोटल सस्पेंडेड सॉलिड(टीएसएस) के रूप में लाती है। विसर्जन के तत्काल बाद के आंकड़े बताते हैं कि यह टीएसएस पानी में दो से तीन गुना तक बढ़ जाता है। पिछले साल भी यह टीएसएस तीन गुना तक बढ़ गया था जो कि कैमिकल के साथ मिलकर पानी को हानिकारक बना सकता है।
 

पिछली बार अच्छी बारिश हुई तो बची जलीय जीवों की जिंदगी

पिछले साल बारिश अच्छी हुई तो घुलनशील ऑक्सीजन का स्तर ज्यादा नहीं गिरा। साथ ही टीएसएस भी बढ़ा लेकिन पानी की मात्रा अधिक होने से ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा। इस बार भी पानी की मात्रा अधिक है, लेकिन यदि मानकों की मानें तो इस बार भी विसर्जन के तुरंत बाद मूर्तियों को निकालने की व्यवस्था अब तक नहीं की गई है।
 

पहले निर्देश – पहल निर्देश यह था कि पीओपी की मूतियां इस बार नहीं बनेगी और न ही बिकेगी। लेकिन यह लागू नहीं हो सका।

दूसरा निर्देश – सिटी टैंक में मूर्तियां विसर्जित नहीं होगी। इससे पहले कुछ मौकों पर यह विर्सजन हो चुका है। हालांकि, इस बार विसर्जन के लिए लाखोटिया तीसरा भाग आरक्षित रखा है।
तीसरा निर्देश – अब प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने गाइड लाइन का हवाला देते हुए विसर्जन से पूर्व ऐसी व्यवस्था करने को कहा है। जिसमें मूर्तियां विसर्जन होने के कुछ ही देर में वापस निकाला जाए। इसके लिए आरक्षित पानी के स्थल में नीचे एक कवर बिछाया जाए।
इनका कहना…

मूर्तियां विसर्जन लाखोटिया तालाब के तीसरे भाग गणेश घाट पर होगा। नई गाइड लाइन के बारे में पता करवा लेते हैं और उसके लिहाज से काम करने का प्रयास करेंगे। पर्यावरण संरक्षण के प्रति संकल्पित हैं।
– महेन्द्र बोहरा, सभापति, नगर परिषद पाली।

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