इस प्रोजेक्ट में रोहट क्षेत्र की खारड़ा व रोहट, रानी क्षेत्र की जवाली व आकड़ावास, जैतारण क्षेत्र की खराड़ी व टुकडा, सोजत क्षेत्र की मण्डला व खारीया नींव, सुमेरपुर क्षेत्र की पालडी जोड व सुमेरपुर, देसूरी क्षेत्र की माडपुर व माण्डीगढ़, मारवाड़ जंक्शन क्षेत्र की फुलाद व सिरियारी, पाली क्षेत्र की गिरादड़ा व साकदडा, बाली क्षेत्र की भीमाणा व गुडालास तथा रायपुर क्षेत्र की अमरपुरा व सुमेल स्कूलों का चयन किया। इन स्कूलों में बाला प्रोजेक्ट लागू करने के लिए भामाशाहों तथा विद्यालय विकास प्रबंधन समितियों का सहयोग लिया।
13 विद्यालय तैयार
चयनित 13 स्कूलें प्रोजेक्ट की अवधारणा को लेकर पूरी तरह तैयार हो चुकी है। शेष सात स्कूलों की दीवारें भी जल्द ही बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाने के लिए तैयार की जाएगी। इस प्रोजेक्ट के तहत चयनित स्कूलों की बाउंड्री वॉल पर स्वच्छता संबंधी पंक्तियां लिखवाई गई हैं ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ स्वच्छता का महत्व भी सीख सकें। कक्षा के अंदरूनी भागों में नैतिक शिक्षा की सूक्तियां लिखी गई हैं। बच्चे इसे रोज देखकर अच्छा इंसान बनने की प्रेरणा ले सकेंगे।
इन स्कूलों में ऐसी पेंटिंग करवाई गई है जिससे स्कूल परिसर सुंदर भी दिख रहे हैं और ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों की पढ़ाई में मदद भी मिल रही है। स्कूल की दीवारों को वर्णमाला, अंग्रेजी के अल्फाबेट, गिनती-पहाड़े लिखकर पेंटिंग करवाई गई है। दीवारों पर भारत के राष्ट्रीय प्रतीक जैसे राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय पशु शेर और राष्ट्रीय फूल कमल के चित्र बनाए गए है ताकि बच्चे सामान्य ज्ञान के इन सवालों को आसानी से सीख सकें।