जिन घरों में पिछली होली के बाद नौनिहालों का जन्म हुआ। उनका ढूंढोत्सव मनाया गया। नौनिहालों की ढूंढ करने के लिए समाज के गेरिये चंग बजाते व गीत गाते हुए नौनिहालों के घर पहुंचे। वहां नौनिहालों को बुआ या बहन गोद में लेकर बैठी। गेरियाें ने उसके ऊपर लकडि़यां बजाते व हरि-हरि रे हरियाली…गीत गाते हुए नौनिहालों को आशीर्वाद दिया। उनके जीवन में खुशहाली की प्रार्थना की।
धुलण्डी पर रंग खेलने के बाद लोग शाम को मित्रों व परिजनों के घर गए। छोटों ने बड़ों के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया। लोगों ने घर आने वाले आगन्तुकों का मिठाई व व्यंजन खिलाकर स्वागत किया। कई जगहों पर मोहल्लेवासियाें व समाजबंधुओं की होली से शाम को गोठों का आयोजन किया गया। वहीं ढूंढोत्सव वाले घरों में गेरियों के साथ परिजनों व मित्रों को दाल-बाटी, चूरमा सहित अन्य व्यंजन परोसकर भोजन करवाया गया।