यह बनते है कैंसर का कारण – खेतों में फसलों को बचाने के लिए रसायन युक्त कीट-नाशक, रोग नाशक, खरपतवार नाशक और रासयनिक खाद डीएपी, यूरिया व एसएफपी का उपयोग करना। – उर्वरकों में सिल्वर, निकिल, सेलेनियम, थैलियम, वनेडियम, पारा, सीसा, कैडमियम का उपयोग करने से मस्तिष्क कैंसर, प्रोस्टेट ग्रंथि कैंसर, बड़ी आंत का कैंसर का खतरा रहता है।
– फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड, एसिटिलीन, प्रॉपलीन, एथलीन, ग्लाइकॉल व एथनॉल का उपयोग किया जाता है। इससे कैंसर का खतरा रहता हैं। – जंक फूड में भी में केमिकल का उपयोग किया जाता है। इससे बड़ी आंत, छोटी आंत, लीवर व आमाशय में कैंसर का खतरा रहता है।
कैंसर के दो प्रकार चिकित्सकों के अनुसार कैंसर के मुख्य दो प्रकार के होते है। पहला रक्त कैंसर जिसमें एएलएल, सीएलएल, एएमएल, सीएमएल, एनएचएल व एचएल होता है। दूसरा शारीरिक कैंसर जिसमें ब्रेन कैंसर, मुंह का कैंसर, स्तन कैंसर, गर्भाशय एवं बच्चेदानी का कैंसर, फैफड़ों को कैंसर व आंतों का कैंसर होता है।
यह कैंसर होते आनुवांशिक चिकित्सकों ने बताया कि ब्लड कैंसर, स्तर कैंसर, बच्चेदानी के मुंह का कैंसर व बच्चेदानी का कैंसर आनुवांशिक तौर पर आगे से आगे बढ़ता रहता है। जागरूकता जरूरी है
वर्तमान में सबसे ज्यादा फलों व सब्जियों को पकाने के लिए केमिकल का उपयोग हो रहा है। इसके अलावा भी कई केमिकल कैंसर का कारण बनते जा रहे है। अभी तक जिला मुख्यालय पर आयोजित शिविर में 54 कैंसर के मरीज सामने आए है। इस गंभीर समस्या से बचने के लिए खाद्य पदार्थों में केमिकल का उपयोग बंद करने की जागरूकता लानी होगी।
– डॉ. विकास जैन, जिला कैंसर नोडल आफिसर