पबजी बैन होने के बाद इंटरनेट साइट पर बेटल ग्राउण्ड इंडिया, कॉल आफ ड्यूटी जैसे गेम आ गए, जो बच्चों को पसंद आ रहे हैं। इनके टास्क में पबजी की तरह मौत का टास्क नहीं है, खून नहीं है, लेकिन मौज-मस्ती जरूर है। इसकी वजह से बच्चें कई घंटे तक ये गेम खेलते हुए इसके शिकार हो रहे हैं। चिकित्सक इसे इंटरनेट एडिक्ट कह रहे हैं, जो खतरनाक है। पाली सहित प्रदेश में इन दिनों इसका चलन अधिक हो रहा है।
पाली के हालातों पर नजर डाली जाए तो इन दिनों कोविड सीजन के दौरान स्कूलें बंद होने व अधिकांश समय घरों में रहने के कारण बच्चों में वीडियो गेम का चलन और अधिक बढ़ा है। हालांकि भारतीय गेम ही वे खेल रहे है, लेकिन बच्चों का मोबाइल व गेजेट्स स्क्रीन पर समय बिताना अधिक हो गया है। इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। परिजन अपने बच्चों को लेकर मनो चिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। बच्चे हिंसक, चिड़चिड़ा, अनिंद्रा, गुस्सेल प्रवृत्ति के हो रहे हैं। इसका सीधा जिम्मेदार वीडियो गेम को बताया जा रहा है।
ज्यादा वीडियो गेम बच्चों द्वारा खेला जाना खतरनाक है। इसके फायदे कम है, बच्चों का इन दिनों स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है। इससे अनिद्रा, तनाव, गुस्सा, चिड़चिड़ा स्वभाव हो रहा है। परिजनों को अपने बच्चों को समय देना चाहिए, उन पर नजर रखनी चाहिए। आउटडोर खेल बच्चों को खेलाए, वीडियो गेम एक नशा है। इन दिनों इससे प्रभावित केस सामने आ रहे हैं। – डॉ. अंकित अवस्थी, मनोरोग चिकित्सक, बांगड़ मेडिकल कॉलेज अस्पताल, पाली।