दरअसल, सादड़ी के रहने वाले सार्वजनिक निर्माण विभाग के एक्सइएन ओगडऱाम के पुत्र हितेश मालवीय आइटी स्टार्टअप चलाते हैं। लॉकडाउन के दौरान हितेश का रायपुर के निकट काया गांव के हुकमसिंह रावत के परिवार की कहानी से सामना हुआ। हुकमसिंह 13 साल से मलेशिया के डिटेंशन सेंटर में फंसा हुआ है। वह यहां से मजदूरी करने गया था, लेकिन विजा खत्म होने पर उसे डिटेंशन सेंटर में भेज दिया गया। 13 साल से हुकमसिंह का परिवार इंतजार कर रहा है लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। हितेश ने परिवार से मुलाकात की और उनकी पीड़ा सुनकर डॉक्यूमेंट्री बनाने का निर्णय लिया।
पत्रिका की खबर पढकऱ जागी संवेदना
मलेशिया में फंसे हुकमसिंह के परिवार की पीड़ा पत्रिका ने पिछले महीनों उजागर की थी। हितेश ने जब यह कहानी पढ़ी तो उसकी संवेदनाएं जाग उठी। उसने तय किया कि मलेशियों में फंसे भारतीय श्रमिकों पर डॉक्यमेंट्री बनाकर सरकार को अवगत कराया जाएगा। हितेश ने अपने साथी चिराग मालवीय के साथ 16 मिनट की फिल्म बनाई, जिसमें परिवार की पीड़ा को कहानी के रूप में उजागर किया।
मलेशिया में फंसे हुकमसिंह के परिवार की पीड़ा पत्रिका ने पिछले महीनों उजागर की थी। हितेश ने जब यह कहानी पढ़ी तो उसकी संवेदनाएं जाग उठी। उसने तय किया कि मलेशियों में फंसे भारतीय श्रमिकों पर डॉक्यमेंट्री बनाकर सरकार को अवगत कराया जाएगा। हितेश ने अपने साथी चिराग मालवीय के साथ 16 मिनट की फिल्म बनाई, जिसमें परिवार की पीड़ा को कहानी के रूप में उजागर किया।
डॉक्यूमेंट्री को मिली सराहना
हितेश की डॉक्यमेंट्री को सात अन्तरराष्ट्री फिल्म समारोह के लिए चुना गया है। जिसमें वेनिस फिल्म अवार्डस, न्यूयार्क फिल्म अवार्डस, फाइनलिस्ट इन फ्लोरेंस फिल्म अवार्डस, रोम के स्वतंत्र फिल्म पुरस्कार, पूर्व-दक्षिण क्षेत्रीय फिल्म महोत्सव में भी चयन हुआ है।
हितेश की डॉक्यमेंट्री को सात अन्तरराष्ट्री फिल्म समारोह के लिए चुना गया है। जिसमें वेनिस फिल्म अवार्डस, न्यूयार्क फिल्म अवार्डस, फाइनलिस्ट इन फ्लोरेंस फिल्म अवार्डस, रोम के स्वतंत्र फिल्म पुरस्कार, पूर्व-दक्षिण क्षेत्रीय फिल्म महोत्सव में भी चयन हुआ है।