झण्डा लेकर पूरे मोहल्ले में घूमे थे सोमनाथ मंदिर के पास रहने वाले हाजी अब्दुल गफूर बा लोहार देश को आजादी मिलने के समय करीब 22 वर्ष के थे। वे बताते है हमें आजादी मिलने का समाचार शहर में जगह-जगह बजने वाले रेडियो से लगा था। आजादी वाले दिन हम सभी तिरंगा लेकर गली-गली में घूमे थे। राजनीति से कोई लेना देना नहीं था, इस कारण किसी बैठक या अन्य जगह पर नहीं गए थे। इतना जरूर याद है कि पाकिस्तान बना था, लेकिन पाली के निवासियों को उससे कोई लेना-देना नहीं था। उस दिन हम तो इससे खुश थे कि अंग्रेजों से आजादी मिली है। उस दिन लोगों ने एक-दूसरे को आजादी मिलने की मुबारकबाद भी पेश की थी। कलक्टर (हाकम) के ऑफिस पर भी झण्डा फहराया होगा।
आम दिनों जैसा ही था माहौल
लक्ष्मी मार्केट के पास रहने वाले रामजस बंसल आजादी के समय करीब 16 वर्ष के थे। वे बताते है कि आजादी मिलने वाले दिन लोगों में खुशी का माहौल था। उनके पिता मुरलीधर की कच्ची दुकान सर्राफा बाजार में थी। इसी के पास गांधी कटला है। जहां आजादी मिलने पर बैठक हुई थी। वे उस बैठक में तो नहीं गए थे, लेकिन दुकान पर बैठने के कारण उस दिन की याद आज भी ताजा है। उस बैठक में तत्कालीन हाकम भी पहुंचा था। वे बताते है कि उस दिन पाली में कोई बड़ा जश्न नहीं मनाया गया था। शहर भी छोटा था। यहां की जनसंख्या करीब 15 हजार थी। शहर में कुछ लोगों के पास रेडियो था। उनके वहां जाकर शहरवासियों ने देश आजाद होने के समाचार सुने थे।