कारगिल युद्ध में दुश्मनों का छक्के छुड़ाने वाले शहीदों के परिवारों के लिए सामाजिक सरोकार का फर्ज निभाते हुए पत्रिका ने पहल कर आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई थी। इस कड़ी में संपूर्ण युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के परिवारों को अध्ययन एवं अन्य सुविधाओं के लिए सहायता राशि मुहैया करवाई गई थी।
तत्कालीन सरकार की योजना के अनुसार कारगिल शहीदों को सम्मान देने की कड़ी में भैंसाणा ग्राम के मुख्य चौराहें पर शहीद जैतावत की प्रतिमा स्थापित की गई थी। 20 जून 2000 में तत्कालीन सांसद पुष्प जैन ने इसका लोकार्पण किया था।
शहीद भंवरसिंह जैतावत की प्रथम पुण्यतिथि पर वर्ष 2000 में विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत किया गया। साथ ही विद्यालय का नामकरण भी शहीद के नाम किया गया, जहां वर्तमान में कला संकाय संचालित है। वर्ष 2015 में इस विद्यालय को राज्य सरकार द्वारा आदर्श विद्यालय के रूप में चयनित किया गया। यहां पर वर्तमान में करीब 200 छात्र छात्राएं अध्ययनरत है।
शहीद जैतावत के परिवार में उनकी पत्नी धाप कंवर, माता मोहर कंवर सहित उनकी तीन पुत्रियां मुनेश कंवर, संजू कंवर व नीरू कंवर तथा पुत्र भवानीसिंह जैतावत है। तीनों पुत्रियों की शादी हो चुकी है। शहीद की पत्नी को पेंशन मिल रही है। शहीद की पत्नी धापकंवर को विशिष्ठ सेवा मेडल से भी नवाजा गया था। इतना ही नहीं, शहादत के सम्मान के लिए उनके परिवार के नाम एक पेट्रोल पम्प आवंटित किया गया, जो वर्तमान में सोजत पाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर शहीद भंवरसिंह पेट्रोल पम्प के नाम से संचालित है। साथ ही शहीद का पुत्र राज्य सरकार की अनुशंसा पर तहसील कार्यालय में लिपिक पद पर कार्यरत है। वर्तमान में शहीद का परिवार स मानजनक स्थिति में अपना भरण-पोषण कर रहा है।