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Kargil Vijay Diwas : भैंसाणा के शहीद वीर सपूत की याद में आज भी नम हो जाती हैं आंखें, पढ़ें पूरी खबर…

locationपालीPublished: Jul 26, 2019 11:52:15 am

Submitted by:

Suresh Hemnani

-कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे भैंसाणा के भंवरसिंह जैतावतSpecial on Kargil Vijay Day :

Kargil martyr day : Special on Kargil Vijay Day in pali of rajasthan

Kargil Vijay Diwas : भैंसाणा के शहीद वीर सपूत की याद में आज भी नम हो जाती हैं आंखें, जानिए पूरी खबर…

कैलाश गहलोत
पाली/सोजत। Special on Kargil Vijay Day : ‘जननी जणे तो एहड़ा जण के दाता के सूर, नी तो रइजे बांझणी, मत गमाइजे नूर।’ ये महज पंक्तियां नहीं, वरन् शूरवीरों की जननी मारवाड़ की गौरव गाथा है। फिर चाहे रियासतकालीन युद्ध हो या फिर आजाद भारत में हुए युद्ध, हर जगह मारवाड़ के शूरवीरों ने अपनी वीरता का लोहा मनवाया है और मारवाड़ का परचम लहराया है। कारगिल के युद्ध में भी मारवाड़ में भैसाणा गांव के सपूत भंवरसिंह जैतावत वीर भूमि की रक्षार्थ शहीद हो गए थे। आज भी जब उनका बलिदान दिवस मनाया जाता है, तो युवा भी उन्हें नमन करते हैं। इतना ही नहीं, गांव के कई सपूत आज भी देश की सीमाओं पर मातृभूमि की रक्षा के लिए तैनात है। आज उस युद्ध को 20 साल हो चुके हैं। इन बीते सालों में जैतावत के परिवार को शहीद भंवरसिंह की कमी तो खूब खली। लेकिन, सुकून ये कि सरकार ने जो घोषणाएं की थी। उनसे आज परिवार खुशनुमा जीवन व्यतीत कर रहा है।
सोजत क्षेत्र के भैंसाणा ग्राम में जन्मे भंवरसिंह जैतावत भारतीय थल सेना में आर्टिलरी यूनिट 1889 लाइट रेजीमेंट में सूबेदार थे। वे 27 अगस्त 1971 को भारतीय थल सेना में भर्ती हुए। सैकण्डरी पास जैतावत ने 12 जनवरी 1979 में ऑपरेशन अवरोध, 12 अप्रेल 1987 में ऑपरेशन ट्रिडेन्ट, वर्ष 22 अगस्त 1991 में ऑपरेशन रक्षक में अपनी वीरता का परचम दिखाया था। 1999 में 17 जून को कारगिल में भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देते हुए शहीद हो गए थे। जब यहां शहीद का शव पहुंचा तो पूरा गांव रोया था। उस दिन तेज बारिश के बीच भैसाणा में शहीद भंवरसिंह जैतावत को हजारों लोगों की उपस्थिति में राजकीय सम्मान के साथ हवा में फायर कर अंतिम सलामी देते हुए गगन भेदी जयकारों के साथ मुखाग्नि दी थी।
पत्रिका ने भी बांटा दर्द
कारगिल युद्ध में दुश्मनों का छक्के छुड़ाने वाले शहीदों के परिवारों के लिए सामाजिक सरोकार का फर्ज निभाते हुए पत्रिका ने पहल कर आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई थी। इस कड़ी में संपूर्ण युद्ध के दौरान शहीद हुए जवानों के परिवारों को अध्ययन एवं अन्य सुविधाओं के लिए सहायता राशि मुहैया करवाई गई थी।
शहीद की स्मृति में बना सर्कल
तत्कालीन सरकार की योजना के अनुसार कारगिल शहीदों को सम्मान देने की कड़ी में भैंसाणा ग्राम के मुख्य चौराहें पर शहीद जैतावत की प्रतिमा स्थापित की गई थी। 20 जून 2000 में तत्कालीन सांसद पुष्प जैन ने इसका लोकार्पण किया था।
शहीद के नाम पर विद्यालय का नामकरण
शहीद भंवरसिंह जैतावत की प्रथम पुण्यतिथि पर वर्ष 2000 में विद्यालय को उच्च माध्यमिक विद्यालय में क्रमोन्नत किया गया। साथ ही विद्यालय का नामकरण भी शहीद के नाम किया गया, जहां वर्तमान में कला संकाय संचालित है। वर्ष 2015 में इस विद्यालय को राज्य सरकार द्वारा आदर्श विद्यालय के रूप में चयनित किया गया। यहां पर वर्तमान में करीब 200 छात्र छात्राएं अध्ययनरत है।
शहीद परिवार को मिला सम्मान
शहीद जैतावत के परिवार में उनकी पत्नी धाप कंवर, माता मोहर कंवर सहित उनकी तीन पुत्रियां मुनेश कंवर, संजू कंवर व नीरू कंवर तथा पुत्र भवानीसिंह जैतावत है। तीनों पुत्रियों की शादी हो चुकी है। शहीद की पत्नी को पेंशन मिल रही है। शहीद की पत्नी धापकंवर को विशिष्ठ सेवा मेडल से भी नवाजा गया था। इतना ही नहीं, शहादत के सम्मान के लिए उनके परिवार के नाम एक पेट्रोल पम्प आवंटित किया गया, जो वर्तमान में सोजत पाली राष्ट्रीय राजमार्ग पर शहीद भंवरसिंह पेट्रोल पम्प के नाम से संचालित है। साथ ही शहीद का पुत्र राज्य सरकार की अनुशंसा पर तहसील कार्यालय में लिपिक पद पर कार्यरत है। वर्तमान में शहीद का परिवार स मानजनक स्थिति में अपना भरण-पोषण कर रहा है।
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