कोलीवाड़ा के सपूत ने दिखाया था अदम्य साहस
कोलीवाडा निवासी चिमनाराम मेघवाल ने भी कारगिल युद्ध में भाग लिया था। उन्होंने कार्यक्रम में बताया कि वे थल सेना में पैरा कमाण्डों के पद पर नियुक्त थे। युद्ध की घोषणा होते ही वे तुरंत बटालियन के साथ रवाना हो गए। पाकिस्तानी (pakistan) सेना के आगे बढने पर उन्हें खदेडऩे के दौरान उनके सीने पर गोलियां लगी थी। मन में देशप्रेम व दुश्मनों के दांत खट्टे करने का लक्ष्य उन्हें विचलित नहीं कर सका। भारत सरकार ने उन्हें वीरता पर चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ अवार्ड से सम्मानित किया था। उन्होंने बताया कि जब भी देश पर संकट की स्थिति पैदा होगी। वे अपने प्राण न्यौछावर करने में भी पीछे नही हटेंगे।
कोलीवाडा निवासी चिमनाराम मेघवाल ने भी कारगिल युद्ध में भाग लिया था। उन्होंने कार्यक्रम में बताया कि वे थल सेना में पैरा कमाण्डों के पद पर नियुक्त थे। युद्ध की घोषणा होते ही वे तुरंत बटालियन के साथ रवाना हो गए। पाकिस्तानी (pakistan) सेना के आगे बढने पर उन्हें खदेडऩे के दौरान उनके सीने पर गोलियां लगी थी। मन में देशप्रेम व दुश्मनों के दांत खट्टे करने का लक्ष्य उन्हें विचलित नहीं कर सका। भारत सरकार ने उन्हें वीरता पर चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ अवार्ड से सम्मानित किया था। उन्होंने बताया कि जब भी देश पर संकट की स्थिति पैदा होगी। वे अपने प्राण न्यौछावर करने में भी पीछे नही हटेंगे।