scriptपाली के इस परिवार का रहा है कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरिसिंह से विशेष नाता, आज भी लाल चौक में है इनकी पुश्तैनी हवेली | Kavi Raj of Pali has ancestral Haveli in Lal Chowk in Kashmir | Patrika News

पाली के इस परिवार का रहा है कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरिसिंह से विशेष नाता, आज भी लाल चौक में है इनकी पुश्तैनी हवेली

locationपालीPublished: Aug 06, 2019 10:14:45 pm

Submitted by:

rajendra denok

परिवार में हर्ष की लहर

श्रीनगर के लालचौक में है आंगदोष के कविराजा की बेशकीमती हवेली


सोजत. आंगदोष गांव के कविराजा मुरारीदान बारहठ का परिवार कश्मीर 370 फैसले से बेहद खुश है। कविराजा बारहठ के नाम से आज भी श्रीनगर के लालचौक में उनकी बेशकीमती हवेली (इमारत) बनी हुई है। अब इस परिवार को अपनी विरासत फिर से मिलने की उम्मीद जगी है।

कविराजा परिवार के वरिष्ठ सदस्य एड़वोकेट सरदारसिंह बारहठ सोजत ने बताया कि उनके दादा कविराजा मुरारीदान पुत्र शक्तिदान बारहठ की बेशकिमती हवेली कविराजा बिल्डिंग के नाम से मशहूर है। तत्कालीन महाराजा हरिसिंह द्वारा उनको श्रीनगर के निकट वाकुरा गांव वंश परम्परा के रूप में जागीर दी गई थी। उस वक्त जागीर की आमदनी तीन हजार रुपए सालाना थी। कविराजा की मृत्यु के बाद उनके पुत्र मोहनसिंह को कविराजा की पदवी दी गई तथा उनको विधिवत उत्तराधिकारी बनाया गया।
कविराज यूं पहुंचे काश्मीर

मुरारीदान बारहठ कुशाग्र बुद्धि के धनी थे। सर्वप्रथम उन्होंने आऊवा और रोहट ठिकाने में सेवाएं दी। बाद में वे झालावाड़ के महाराजा भवानीसिंह के राजदरबार में राजकवि रहे। तत्पश्चात दिल्ली में राजाओं के सम्मेलन में उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर कश्मीर के महाराजा प्रतापसिंह ने झालावाड़ महाराजा से उनको कश्मीर भेजने का आग्रह किया। उस समय कविराजा झाला राजपूतों का इतिहास लिख रहे थे। वहां पर उन्हें महाराजा प्रतापसिंह द्वारा कविराजा की उपाधि प्रथम श्रेणी जागीरदार और डबल ताजिमी सरदार पदवी प्रदान की गई थी। कविराजा द्वारा कश्मीर का इतिहास भी लिखा गया।
कबाइली अराजकता से पुन: लौटे थे गांव

सोजत के कविराजा मोहनसिंह बारहठ ने वर्ष 1948 तक कश्मीर में निवास किया था। कालांतर में कबाइली आक्रमण व अराजकता के कारण वहां पर सुरक्षित रहना संभव नहीं हो पाया। इसलिए वे पुन: अपने पैतृक गांव आंगदोष लौट आए। यहां आने के बाद वे सोजत में वकालत करने लगे। वर्ष 2004 में उनका देहांत हो गया। वर्तमान में कविराजा मोहनसिंह के पुत्र सरदारसिंह बारहठ, सवाईसिंह बारहठ, विक्रमसिंह बारहठ, पौत्र शैलेंद्रसिंह, महावीरसिंह, हनुवंतसिंह बारहठ तथा प्रपोत्र धु्रवसिंह, शिवराजसिंह बारहठ व गौरी बारहठ सोजत में निवास कर रहे हैं।
विशेष ट्रेन से पहुंची थी कविराजा की देह

कविराजा कश्मीर का देहांत श्रीनगर में होने पर कश्मीर महाराजा हरिसिंह द्वारा कश्मीर रियासत की विशेष ट्रेन के माध्यम उन्हें तथा उनके परिवारजनों को पैतृक गांव मारवाड़ जंक्शन आंगदोष पहुंचाया गया था।
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