बाजार में ज्यादा बिक्री छोटी पैकिंग की
व्यापारियों ने गत 16 जुलाई को अनाज मंडियां और आटा-दाल मिले बंद रखकर खाद्य पदार्थों पर पहली बार लगा जीएसटी हटाने की मांग की थी, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।आम व निम्न मध्यम वर्गीय परिवार अमूमन जरूरत के हिसाब से पच्चीस किलो से कम मात्रा में ही पैकिंग माल खरीदता है। अब 25 किलो से कम पैकिंग वाले इस सामान पर जीएसटी लगेगा। जबकि आमजन ज्यादातर इससे कम वाली पैकिंग खरीदता है।
व्यापारियों ने गत 16 जुलाई को अनाज मंडियां और आटा-दाल मिले बंद रखकर खाद्य पदार्थों पर पहली बार लगा जीएसटी हटाने की मांग की थी, लेकिन कोई असर नहीं हुआ।आम व निम्न मध्यम वर्गीय परिवार अमूमन जरूरत के हिसाब से पच्चीस किलो से कम मात्रा में ही पैकिंग माल खरीदता है। अब 25 किलो से कम पैकिंग वाले इस सामान पर जीएसटी लगेगा। जबकि आमजन ज्यादातर इससे कम वाली पैकिंग खरीदता है।
यों समझें जीएसटी की गणित
दाल, आटा, चावल जैसे फूड आइटम्स की पैकिंग लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के हिसाब से होती है और उस पैकिंग का वजन 25 किलो से ज्यादा होता है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। किसी बोरी में 5-5 किलो या 10-10 किलो के पैक डालकर उस पूरी बोरी का वजन 25 किलो से अधिक कर दिया जाता है तो उसे जीएसटी से छूट नहीं मिलेगा, सिंगल पैकिंग का वजन 25 किलो से अधिक होना चाहिए, तभी छूट मिलेगी। मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा। हालांकि खुले में बिकने वाले बिना ब्रांड वाले उत्पादों पर जीएसटी छूट जारी रहेगी।
दाल, आटा, चावल जैसे फूड आइटम्स की पैकिंग लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 के हिसाब से होती है और उस पैकिंग का वजन 25 किलो से ज्यादा होता है तो उस पर जीएसटी नहीं लगेगा। किसी बोरी में 5-5 किलो या 10-10 किलो के पैक डालकर उस पूरी बोरी का वजन 25 किलो से अधिक कर दिया जाता है तो उसे जीएसटी से छूट नहीं मिलेगा, सिंगल पैकिंग का वजन 25 किलो से अधिक होना चाहिए, तभी छूट मिलेगी। मछली, दही, पनीर, लस्सी, शहद, सूखा मखाना, सूखा सोयाबीन, मटर जैसे उत्पाद, गेहूं और अन्य अनाज तथा मुरमुरे पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगेगा। हालांकि खुले में बिकने वाले बिना ब्रांड वाले उत्पादों पर जीएसटी छूट जारी रहेगी।
यह निर्णय ठीक नहीं
घर में आटा, दाल, चावल की छोटी पैकिंग ही लाते है। अब इस पर जीएसटी लगेगा तो महंगा पड़ेगा, यह निर्णय ठीक नहीं है। - कृति साहू, गृिहणी, पाली। बजट गड़बड़ाएगा
इस निर्णय से बजट गड़बड़ाएगा। दही, लस्सी, आटा भी महंगा हो गया है। रसोई में कोई भी ऐसी चीज नहीं बची है तो सस्ती है। - ज्योति, गृिहणी, पाली।
घर में आटा, दाल, चावल की छोटी पैकिंग ही लाते है। अब इस पर जीएसटी लगेगा तो महंगा पड़ेगा, यह निर्णय ठीक नहीं है। - कृति साहू, गृिहणी, पाली। बजट गड़बड़ाएगा
इस निर्णय से बजट गड़बड़ाएगा। दही, लस्सी, आटा भी महंगा हो गया है। रसोई में कोई भी ऐसी चीज नहीं बची है तो सस्ती है। - ज्योति, गृिहणी, पाली।
ज्यादातर छोटी पैकिंग ही खरीदते
जरूरत के हिसाब से आटा, दाल, चावल, दही, लस्सी सहित कई वस्तुएं कम और छोटी पैकिंग ही खरीदते है। अब यह महंगी हो गई। इससे महीने का घर का बजट गड़बड़ाएगा। - मोना गोयल, गृिहणी।
जरूरत के हिसाब से आटा, दाल, चावल, दही, लस्सी सहित कई वस्तुएं कम और छोटी पैकिंग ही खरीदते है। अब यह महंगी हो गई। इससे महीने का घर का बजट गड़बड़ाएगा। - मोना गोयल, गृिहणी।
महंगी हाे गई लस्सी
लस्सी, पनीर व दही की बिक्री अधिक होती है। अब इन पर भी जीएसटी लगने से महंगी हो गई है। ग्राहक के लिए परेशानी है, हमारे जैसे दुकानदारों के लिए भी यह निर्णय ठीक नहीं है। -हरीश, दूध-दही व्यापारी, पाली।
लस्सी, पनीर व दही की बिक्री अधिक होती है। अब इन पर भी जीएसटी लगने से महंगी हो गई है। ग्राहक के लिए परेशानी है, हमारे जैसे दुकानदारों के लिए भी यह निर्णय ठीक नहीं है। -हरीश, दूध-दही व्यापारी, पाली।