राजेन्द्रसिंह देणोक/प्रमोद दवे पाली । जलदाय विभाग के अधिकारियों की ’इंजीनियङ्क्षरग’ ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले। यह इसलिए क्योंकि हर किसी की जुबां पर एक ही सवाल है कि आखिर जर्जर पाइप लाइन से पानी लाने का फैसला क्यों लिया गया? जानकारों की मानें तो जोधपुर से रोहट तक यदि नई पाइप लाइन बिछाई जाती तो उसमें महज एक माह से कम समय लगता। बजाय इसके, करीब 40 साल पुरानी सड़ी-गली पाइप लाइन की मरम्मत का फैसला किया गया, जिसे ढाई महीनों में भी अब तक पूरा नहीं किया जा सका है।
नतीजा, पाली और रोहट पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, जलदाय अधिकारियों के इस अदूरदर्शीं निर्णय से सरकारी राजकोष को भी नुकसान पहुंचा है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद स्थायी समाधान नहीं हो पाएगा। अर्थात जलदाय अधिकारियों ने ’छलनी में पानी’…लाने की ठान रखी है। इस कारण पाली जलसंकट से घिरा हुआ है। हैरानी की बात यह भी है कि कई प्रशासनिक अधिकारियों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई थी, लेकिन जलदाय अधिकारियों ने उसे दरकिनार किया। पिछले दिनों पाली दौरे पर आए प्रभारी मंत्री टीकाराम जूली को भी इनकी हाजिर जवाबी पर कहना पड़ा था कि ’ऐसे बता रहे हो जैसे पाली में पानी का संकट ही नहीं है।’
नतीजा, पाली और रोहट पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। इतना ही नहीं, जलदाय अधिकारियों के इस अदूरदर्शीं निर्णय से सरकारी राजकोष को भी नुकसान पहुंचा है। करोड़ों रुपए खर्च होने के बावजूद स्थायी समाधान नहीं हो पाएगा। अर्थात जलदाय अधिकारियों ने ’छलनी में पानी’…लाने की ठान रखी है। इस कारण पाली जलसंकट से घिरा हुआ है। हैरानी की बात यह भी है कि कई प्रशासनिक अधिकारियों ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई थी, लेकिन जलदाय अधिकारियों ने उसे दरकिनार किया। पिछले दिनों पाली दौरे पर आए प्रभारी मंत्री टीकाराम जूली को भी इनकी हाजिर जवाबी पर कहना पड़ा था कि ’ऐसे बता रहे हो जैसे पाली में पानी का संकट ही नहीं है।’
मरे को जिन्दा कर रहे जलदाय विभाग अधिकारी-ठेकेदार
पत्रिका ने ठेकेदार दिलीपङ्क्षसह गहलोत से भी बातचीत की और जाना कि आखिर पाइप लाइन की मरम्मत में इतना समय क्यों लग रहा। गहलोत का कहना है कि जलदाय विभाग के अधिकारी मरे हुए को ङ्क्षजदा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए मरम्मत का काम द्रोपदी के चीर की तरह हो गया। हम भी फंस गए। बाहर निकलना चाहते हैं। कोशिश पूरी कर रहे हैं, लेकिन पाइप 40 साल पुराने हैं। पाइप इतने सड़े-गले है कि जहां हाथ डालो, वहीं बंटाधार। इस पाइप लाइन की मरम्मत का फैसला ही गलत लिया गया। नई पाइप लाइन एक महीने में ही बिछ जाती। जबकि, मरम्मत के बाद भी यह पाइप लाइन ज्यादा नहीं चलेगी।
पत्रिका ने ठेकेदार दिलीपङ्क्षसह गहलोत से भी बातचीत की और जाना कि आखिर पाइप लाइन की मरम्मत में इतना समय क्यों लग रहा। गहलोत का कहना है कि जलदाय विभाग के अधिकारी मरे हुए को ङ्क्षजदा करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए मरम्मत का काम द्रोपदी के चीर की तरह हो गया। हम भी फंस गए। बाहर निकलना चाहते हैं। कोशिश पूरी कर रहे हैं, लेकिन पाइप 40 साल पुराने हैं। पाइप इतने सड़े-गले है कि जहां हाथ डालो, वहीं बंटाधार। इस पाइप लाइन की मरम्मत का फैसला ही गलत लिया गया। नई पाइप लाइन एक महीने में ही बिछ जाती। जबकि, मरम्मत के बाद भी यह पाइप लाइन ज्यादा नहीं चलेगी।
टैंकरों पर खर्च हो जाएंगे करोड़ों
पुरानी पाइप लाइन की मरम्मत के लिए 59 लाख रुपए में टेंडर हुआ है। इसके अलावा 8 अप्रेल से कुड़ी से टैंकरों से पानी मंगवाया जा रहा है। 16 अप्रेल से 50 टैंकर प्रतिदिन पानी सप्लाई में लगे हुए हैं। अब यह संख्या 74 तक पहुंच गई हैं। टैंकरों पर औसत 8 लाख रुपए रोजाना खर्च हो रहे हैं। अगले एक माह तक भी टैंकर चलते हैं तो चार से पांच करोड़ रुपए केवल टैंकरों से पानी परिवहन पर खर्च होंगे।
पुरानी पाइप लाइन की मरम्मत के लिए 59 लाख रुपए में टेंडर हुआ है। इसके अलावा 8 अप्रेल से कुड़ी से टैंकरों से पानी मंगवाया जा रहा है। 16 अप्रेल से 50 टैंकर प्रतिदिन पानी सप्लाई में लगे हुए हैं। अब यह संख्या 74 तक पहुंच गई हैं। टैंकरों पर औसत 8 लाख रुपए रोजाना खर्च हो रहे हैं। अगले एक माह तक भी टैंकर चलते हैं तो चार से पांच करोड़ रुपए केवल टैंकरों से पानी परिवहन पर खर्च होंगे।
तत्कालीन परिस्थितियों से कदम उठाया-एसई मनीष माथुर
सवाल- पाइप लाइन तो एकदम जर्जर थी, फिर इसकी मरम्मत का फैसला कैसे लिया?
जवाब- तत्कालीन परिस्थतियां ऐसी थी। हमें लगा कि यह काम जल्द और आसानी से हो जाएगा। लेकिन, पाइप
लाइन की टेङ्क्षस्टग के बाद पता चला। तब तक स्थितियां विपरीत हो गई।
सवाल- नई पाइप बिछाने में क्या अड़चन थीं?
जवाब- इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। विभागीय स्तर पर जो भी प्रक्रिया है उसे अपना रहे हैं।
सवाल- पाइप लाइन से कब तक आ जाएगा पानी?
जवाब- निम्बला तक जल्द ही पहुंच जाएंगे। निम्बला में
हाइडेंट लगाया हैं। यहां से टैंकरों से पानी भरवाया जा
सकेगा। इससे परिवहन में समय बचेगा।
सवाल- पाइप लाइन तो एकदम जर्जर थी, फिर इसकी मरम्मत का फैसला कैसे लिया?
जवाब- तत्कालीन परिस्थतियां ऐसी थी। हमें लगा कि यह काम जल्द और आसानी से हो जाएगा। लेकिन, पाइप
लाइन की टेङ्क्षस्टग के बाद पता चला। तब तक स्थितियां विपरीत हो गई।
सवाल- नई पाइप बिछाने में क्या अड़चन थीं?
जवाब- इसके लिए प्रक्रिया चल रही है। हम पूरा प्रयास कर रहे हैं। विभागीय स्तर पर जो भी प्रक्रिया है उसे अपना रहे हैं।
सवाल- पाइप लाइन से कब तक आ जाएगा पानी?
जवाब- निम्बला तक जल्द ही पहुंच जाएंगे। निम्बला में
हाइडेंट लगाया हैं। यहां से टैंकरों से पानी भरवाया जा
सकेगा। इससे परिवहन में समय बचेगा।
फैक्ट फाइल
60-70 टैंकर चल रहे प्रतिदिन
4-5 करोड़ रुपए
खर्च हो जाएंगे टैंकरों पर
59 लाख रुपए
खर्च होंगे मरम्मत पर
28 करोड़ रुपए
नई पाइप के लिए होंगे खर्च
17 अप्रेल से पाली के
लिए शुरू हुई वाटर ट्रेन
17 फरवरी को मरम्मत
के लिए स्वीकृती मिली
27 फरवरी को मरम्मत कार्य शुरू
16 अप्रेल से नियमित
चल रहे टैंकर
60-70 टैंकर चल रहे प्रतिदिन
4-5 करोड़ रुपए
खर्च हो जाएंगे टैंकरों पर
59 लाख रुपए
खर्च होंगे मरम्मत पर
28 करोड़ रुपए
नई पाइप के लिए होंगे खर्च
17 अप्रेल से पाली के
लिए शुरू हुई वाटर ट्रेन
17 फरवरी को मरम्मत
के लिए स्वीकृती मिली
27 फरवरी को मरम्मत कार्य शुरू
16 अप्रेल से नियमित
चल रहे टैंकर