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82 साल के ब्रिगेडियर की अनूठी कहानी, फौजी के जीवन से आप भी ले सकते हैं नसीहत

locationपालीPublished: Jan 15, 2022 08:18:29 pm

Submitted by:

rajendra denok

-स्वाध्याय व स्वास्थ्य के प्रति चौहान रहते है पूरे जागरूक

82 साल  के ब्रिगेडियर की अनूठी कहानी, फौजी के जीवन से आप भी ले सकते हैं नसीहत

82 साल के ब्रिगेडियर की अनूठी कहानी, फौजी के जीवन से आप भी ले सकते हैं नसीहत

-राजेन्द्रसिंह देणोक
पाली। एक सैनिक देश की हिफाजत के लिए हंसते-मुस्कराते अपनी जान की बाजी लगाना तो बखूबी जानता ही है, वह बतौर नागरिक भी समाज के लिए प्रेरणास्रोत है। सैनिक की जीवनयात्रा अनुशासन, राष्ट्रप्रेम और समाज की उन्नति के निमितरहती है। वह अपना समय कभी जाया नहीं करता, बल्कि नवाचारों में खपाता है। समाज को दिशा देने में लगाता है। ऐसा ही एक अनुकरणीय किरदार है श्रीसेला गांव के ब्रिगेडियर करणसिंह चौहान। उम्र के लिहाज से उन्होंने कई मिथक तोड़े हैं। 82 साल के चौहान अभी भी उतने ही सक्रिय है। देश और समाज को अपने अनुभवों का लाभ ज्यादा से ज्यादा दे पाएं, इसी ध्येय को लेकर समर्पित हैं। स्वाध्याय और स्वास्थ्य के प्रति वे खुद पूरे जागरूक है। दूसरों को भी अनुशासित और व्यवस्थित जीवन जीने की सीख देते हैं।
लेखन में भी महारत हासिल, खुद के जीवन पर लिखी पुस्तक
चौहान को लेखन में भी महारत हासिल है। उन्होंने अपने जीवन पर एक पुस्तक लिखी है। वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे बच्चों को सफलता के टिप्स भी दे रहे हैं। इसके लिए गांव में एक कोचिंग सेंटर खोला है। उन्होंने घर में ही एक बगीचा लगा रखा है जहां सब्जियां उगाई है। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों का सैनिक स्कूल में दाखिला कराने के लिए भी ग्रामीणों का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
कई पदकों से नवाजे
चौहान को अतिविशिष्ट, उत्कृष्ट और असाधारण सेवाओं के लिए राष्ट्रपति द्वारा एवीएसएम, वीएमएम पदक से दो बार सम्मानित किया गया। वे भारतीय रक्षा अकादमी के गोल्ड मेडलिस्ट रहे हैं। उन्होंने कारगिल, सियाचिन और कूपवाड़ा समेत कई दुर्गम स्थानों पर ब्रिगेड कमांड किया। योग, आध्यात्मिक खोज, प्राकृतिक चिकित्सा, होम्योपैथी, पर्यावरण, लेखन, पठन, लाइफ स्टाइल चेंज और समाजसेवा में उनकी गहरी रुचि है।
ये खूबियां, जो हम भी अपनाएं
-अुनशासन, समय का सदुपयोग, सक्रियता।
-नियमित रूप से जल्दी उठना, योग और व्यायाम करना।
-स्वाध्याय करना, आध्यात्म से जुड़े रहना।
-नियमित रूप से अध्ययन, लेखन।
-पेड़-पौधों की सार-संभाल करना, बगीचे का रख-रखाव।-बच्चों से इंटरेक्ट करना, उनका मार्गदर्शन करना।
-भावी पीढ़ी को त्याग और राष्ट्रप्रेम की शिक्षा देना।
-समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों का विरोध।
इनके सुझाव
-सैनिक हमेशा मैन स्ट्रीम में रहना चाहता है। उसका सम्मान करें और उसके अनुभव का लाभ लें।
-एक सैनिक देश के लिए सब कुछ न्यौछावर करने का जज्बा रखता है। वह समाज को भी बहुत कुछ दे सकता है। सैनिक की उपयोगिता पहचानी जाए।
-सैनिक को देश और समाज के विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाना चाहिए।
-सैनिक की काबिलियत बेकार नहीं जानी चाहिए। सेवानिवृति के बाद उसे कुछ न कुछ जिम्मेदारी अवश्य सौंपें।
सेना में पाली के सूरवीरों का गौरवमयी इतिहास
भारतीय थल सेना का आज 74वां स्थापना दिवस है। दुनिया की ताकतवर सेनाओं में शुमार भारतीय थल सेना ने कई युद्धों में अपनी ताकत का लोहा मनवाया। भारतीय थल सेना में पाली जिले के सैनिकों का गौरवमयी इतिहास रहा है। आजादी से लेकर जितने भी युद्ध हुए यहां के कई सैनिकों ने देश के लिए अपनी जान भी दे दी। 1965, 1971 और कारगिल जैसे युद्धों में भी यहां के सूरवीरों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। गलथनी, बागावास, गढ़वाड़ा, सेंदड़ा जैसे कई ऐसे गांव है जहां बहुतायत में सैनिक है। वर्तमान में जिले में साढ़े तीन हजार सेवानिवृत सैनिक है। जिला सैनिक कल्याण अधिकारी जीएस राठौड़ बताते हैं कि वर्तमान में रायपुर ब्लॉक में सर्वाधिक सैनिक है। यहां युवाओं में देश सेवा का जज्बा है।
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