न्यायाधीश ने फैसले में यह भी कहा कि अभियुक्त द्वारा नाबालिग पीडि़ता के साथ जबरन बलात्कार करने का तथ्य प्रमाणित है। अभियुक्त पर अधिरोपित जुर्माना राशि पीडि़ता को प्रतिकर दिलाने के क्रम में पर्याप्त नहीं है। इसलिए पीडि़त प्रतिकर स्कीम के तहत पीडि़ता को शारीरिक एवं मानसिक आघात के लिए प्रतिकर दिए जाने की अनुशंषा करता हूं। फैसले से पूर्व अभियुक्त के अधिवक्ता ने न्यायालय से आग्रह किया कि अभियुक्त नवयुवक और परिवार में कमाने वाला अकेला व्यक्ति है इसलिए उसके प्रति नरमी बरती जाए।
दोनों पक्षों का तर्क सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त ने अपने अधीन ठेके पर मजदूरी का कार्य करने वाली नाबालिग पीडि़ता से बलात्कार जैसा जघन्य अपराध किया है। ऐसे में उसके प्रति नरमी का रुख किया जाना न्यायोचित प्रतीत नहीं होता है। गौरतलब है कि पीडि़ता के पिता ने 13 अक्टूबर 2018 को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बाली के समक्ष परिवाद पेश किया था। उसने परिवाद में बताया कि उसकी पुत्री व पत्नी रानी में रहती है। पुत्री रानी स्टेशन पर कारीगर बाबूलाल के साथ काम करने जाती थी। इस दौरान कमठा कारीगर बाबूलाल समेत कुछ लोगों ने उसकी पुत्री से बलात्कार किया।