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आयुर्वेद पद्धति को ‘दवा’ की दरकार

locationपालीPublished: Jan 24, 2021 11:27:29 am

Submitted by:

Suresh Hemnani

– जिले के कई आयुर्वेद चिकित्सालयों पर लटक रहा ताला- वैद्य (चिकित्सक) से लेकर चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की कमी

आयुर्वेद पद्धति को ‘दवा’ की दरकार

आयुर्वेद पद्धति को ‘दवा’ की दरकार

पाली। भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के प्रति कोरोना काळ में लोगों का विश्वास बढ़ा है, लेकिन जिले के आयुर्वेद चिकित्सालय खुद ही बीमारी से जूझ रहे हैं। कार्मिकों की कमी के कारण आयुर्वेद चिकित्सालयों के भवनों पर ताला लटका है। जिले के कई चिकित्सालयों में एक ही वैद्य अलग-अलग वार पर जाकर मरीजों को देखते हैं। इसके बाद वहां कम्पाउंडर नहीं होने से आयुर्वेद की दवा तैयार करना भी चुनौती है। जिले के रोहट ब्लॉक के हालात तो इतने बदत्तर है कि वहां के पांच चिकित्सालयों में महज एक ही वैद्य नियुक्त है। ऐसे में चार चिकित्सालयों का तो दरवाजा तक नहीं खुल रहा है। रायपुर ब्लॉक के 13 चिकित्सालयों में से कुशालपुरा, गिरी व बिराटिया खुर्द गांव के चिकित्सालय बंद है। वहीं बासनी का चिकित्सालय चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के भरोसे है। स्थिति यह है कि जिले में 156 की तुलना में केवल 51 चिकित्सक कार्य कर रहे हैं।
33 चिकित्सालय, जहां दो दिन जाते हैं कार्मिक
जिले में 142 आयुर्वेद के चिकित्सालय है। इनमें से 33 अस्पतालों में चिकित्सक नहीं है। वहां पर सप्ताह में दो दिन के लिए अन्य जगह से चिकित्सक को भेजा जाता है। उसके अवकाश पर या अन्य किसी कारण से बाहर होने पर उन दिनों में भी आयुर्वेद चिकित्सालय बंद ही रहते हैं।
जिला मुख्यालय पर हालात खराब
पाली जिला मुख्यालय पर जिला आयुर्वेद चिकित्सालय जूनी कचहरी में है। वहां पर रोजाना 80-90 की ओपीडी रहती है। यहां पंचकर्म के लिए एक भी विशेषज्ञ नहीं है। इससे वह बंद है। दूसरी तरफ तीन की जगह दो चिकित्सक ही नियुक्त है। कम्पाउंडर भी सात में से चार ही कार्यरत है। हाउसिंग बोर्ड चिकित्सालय में चिकित्सक ही नहीं है।
सफाई करने वाले तक नहीं
आयुर्वेद चिकित्सालयों में सरकार की ओर से सफाई करने के लिए चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक नहीं लगाए जा रहे है। जिले में 142 अस्पताल में 96 पद है। इनकी तुलना में 63 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही है। जहां चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी नहीं है। वहां 125 रुपए प्रति माह सफाई के देते है। इतनी राशि में कोई सफाई करने को आता ही नहीं है।
हम करते है पूरा प्रयास
कार्मिकों की कमी है। इसके बावजूद हम हर चिकित्सालय पर चिकित्सक भेजकर मरीजों का उपचार करने का पूरा प्रयास करते है। हमने कई जगह पर मंगलवार व गुरुवार को चिकित्सक भेजने की व्यवस्था भी कर रखी है। –डॉ. अशोक कुमार शर्मा, उपनिदेशक, आयुर्वेद विभाग, पाली
यह है चिकित्सालयों की स्थिति
142 आयुर्वेद चिकित्सालय जिले में
156 पद है आयुर्वेद चिकित्सकों के
51 कार्यरत है जिले में आयुर्वेद चिकित्सक
137 नर्स व कम्पाउंडर के पद
88 नर्स व कम्पाउंडर कार्यरत
96 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पद
63 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही कार्यरत

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