किसानों ने किया विरोध तो ले ली दूसरी स्वीकृति रणकपुर-सादडी़ बांध से सिल्ट हटाने को दो किसानों को एक माह की स्वीकृति दी। समय सीमा खत्म हुई तो एक दानदाता ने निर्धन किसानों को ये मिट्टी निशुल्क उपलब्ध कराने इसे हटाने का जिम्मा ले लिया। दानदाता ने 3-4 किलोमीटर के दायरे के किसानों को 10 बीघा जमीन के लिए एक से तीन ट्रैक्टर ट्रॉली मिट्टी दिलाने की व्यवस्था की। इससे ज्यादा जरूरत होने पर ट्रैक्टर-डंपर संचालक को भुगतान किसान को करना होगा। बावजूद इसके रणकपुर-सादडी बांध में सिल्ट ज्यों की त्यों पड़ी है।
ऐसे समझें पूरा खेल
रणकपुर बांध में पेटा काश्त कर रहे किसानों ने इसका विरोध किया। जब नलवानिया बांध में उपजाऊ मिट्टी के साथ झीकरा मिट्टी देखी तो ट्रैक्टर व बुलडोजर संचालकों ने अधिकारियों की शह पर यहां से झीकरा मिट्टी का खनन शुरू कर दिया। अब नलवानिया बांध से मिट्टी के बजाय झीकरा व बजरी का खनन की जा रही है।
आंकड़ों की जुबानी
रणकपुर सादड़ी बांध
1943 से 1945 तक निर्माण
20 से 22 फीट सिल्ट जमा
62.70 फीट गहरा है बांध नलवाणिया बांध
1979 -81 में जलापूर्ति के लिए निर्माण
54 मीटर लंबी ओवरफ्लो दीवार
14.40 फीट भराव क्षमता
12 से 15 हजार की बुझाता प्यास
सिंचाई बांध से हटानी चाहिए सिल्ट पेयजल स्रोत नलवानिया की बजाय सिंचाई जलस्रोत रणकपुर सादडी बांध से सिल्ट निकालना चाहिए। जिसकी 2-3 किलोमीटर की परिधि के जलभराव क्षेत्र में 20-22 फीट गहराई तक सिल्ट है। ङ्क्षसचाई जलस्रोत गहरा होगा तो पानी ज्यादा समाएगा। किसानों को फायदा होगा। – मनाराम जाट, अध्यक्ष, जल उपयोक्ता संगम, रणकपुर सादडी बांध