scriptसेवा में माफिया की सेंध, मिट्टी के बजाय झीकरा बजरी पर नजर, नलवानिया बांध में सीपेज का खतरा | Mafia's dent in service, instead of soil, look at the gravel | Patrika News

सेवा में माफिया की सेंध, मिट्टी के बजाय झीकरा बजरी पर नजर, नलवानिया बांध में सीपेज का खतरा

locationपालीPublished: Jun 26, 2022 08:42:02 pm

Submitted by:

Chen

रणकपुर बांध में 20 फीट से अधिक सिल्ट, फिर भी खोद रहे नलवानिया बांधनलवानिया में वाटर फिल्म क्षतिग्रस्त होने की आशंका, सीपेज से गहराएगा जलसंकट15 हजार उपभोक्ताओं की प्यास बुझाता है नलवनिया बांध

सेवा में माफिया की सेंध, मिट्टी के बजाय झीकरा बजरी पर नजर, नलवानिया बांध में सीपेज का खतरा

सेवा में माफिया की सेंध, मिट्टी के बजाय झीकरा बजरी पर नजर, नलवानिया बांध में सीपेज का खतरा

सादडी़ (पाली)। पिछले मानसून में बारिश नहीं हुई तो पाली जिले सहित गोडवाड़ क्षेत्र के कई जलस्रोत बांध भी सूख गए। ऐसे में जिला प्रशासन ने इन बांधों की जलभराव क्षमता को बढ़ाने के लिए इसमें जमा मिट्टी को हटवाने की ठानी। इसके लिए क्षेत्र के एक दानदाता भी आगे आए और श्रम सुविधा का भार वहन करने की बात कही, ताकि यहां की मिट्टी किसानों को निशुल्क मिल सके। लेकिन, सेवा के इस प्रयास को क्षेत्र के माफियाओं ने व्यवसाय में तब्दील कर दिया है। आलम ये है कि जिस रणकपुर बांध में करीब 22 फीट मिट्टी जमा है, उसे हटाने के बजाय क्षेत्र के प्रमुख पेयजलस्रोत नलवानिया बांध से मनमर्जी से झीकरा मिट्टी व बजरी का खनन करने में जुट गए हैं। अनियमित व अव्यविस्थत खनन से बांध में बिछाई गई वाटर फिल्म के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बढ़ गया है। ऐसा हुआ तो सीपेज हो जाएगा और जलसंकट गहरा जाएगा। लेकिन, जिम्मेदार आंख मूंदकर बैठे हैं। मानसून की दस्तक को देखते जिला कलक्टर व जलसंसाधन विभाग के निर्देशानुसार देसूरी उपखंड क्षेत्र के सभी बांधों से सिल्ट निकाली जा रही है। इसे किसान खेतों में डाल रहे हैं तो कई जगह माफिया इसे व्यापार में तब्दील कर चुके हैं। कई जगह बिना स्वीकृति ही ट्रैक्टर, डंपर, जेसीबी व बुलडोजर से मिट्टी का खनन किया जा रहा है। खास बात तो ये है कि जिस नलवानिया बांध को छलनी किया जा रहा है, उसकी 50 से 52 फीट जलभराव क्षमता है। इससे वर्षपर्यंत 12 से 15 हजार उपभोक्ताओं को एकान्तरे पेयजल आपूर्ति होती है।
किसानों ने किया विरोध तो ले ली दूसरी स्वीकृति

रणकपुर-सादडी़ बांध से सिल्ट हटाने को दो किसानों को एक माह की स्वीकृति दी। समय सीमा खत्म हुई तो एक दानदाता ने निर्धन किसानों को ये मिट्टी निशुल्क उपलब्ध कराने इसे हटाने का जिम्मा ले लिया। दानदाता ने 3-4 किलोमीटर के दायरे के किसानों को 10 बीघा जमीन के लिए एक से तीन ट्रैक्टर ट्रॉली मिट्टी दिलाने की व्यवस्था की। इससे ज्यादा जरूरत होने पर ट्रैक्टर-डंपर संचालक को भुगतान किसान को करना होगा। बावजूद इसके रणकपुर-सादडी बांध में सिल्ट ज्यों की त्यों पड़ी है।
ऐसे समझें पूरा खेल
रणकपुर बांध में पेटा काश्त कर रहे किसानों ने इसका विरोध किया। जब नलवानिया बांध में उपजाऊ मिट्टी के साथ झीकरा मिट्टी देखी तो ट्रैक्टर व बुलडोजर संचालकों ने अधिकारियों की शह पर यहां से झीकरा मिट्टी का खनन शुरू कर दिया। अब नलवानिया बांध से मिट्टी के बजाय झीकरा व बजरी का खनन की जा रही है।
आंकड़ों की जुबानी
रणकपुर सादड़ी बांध
1943 से 1945 तक निर्माण
20 से 22 फीट सिल्ट जमा
62.70 फीट गहरा है बांध

नलवाणिया बांध
1979 -81 में जलापूर्ति के लिए निर्माण
54 मीटर लंबी ओवरफ्लो दीवार
14.40 फीट भराव क्षमता
12 से 15 हजार की बुझाता प्यास
सिंचाई बांध से हटानी चाहिए सिल्ट

पेयजल स्रोत नलवानिया की बजाय सिंचाई जलस्रोत रणकपुर सादडी बांध से सिल्ट निकालना चाहिए। जिसकी 2-3 किलोमीटर की परिधि के जलभराव क्षेत्र में 20-22 फीट गहराई तक सिल्ट है। ङ्क्षसचाई जलस्रोत गहरा होगा तो पानी ज्यादा समाएगा। किसानों को फायदा होगा। – मनाराम जाट, अध्यक्ष, जल उपयोक्ता संगम, रणकपुर सादडी बांध

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