scriptVIDEO : महाराणा प्रताप जयंती विशेष : पाली के कण-कण में महाराणा प्रताप की गूंज, पढ़ें पूरी खबर… | Maharana Pratap Jayanti Special in Pali Rajasthan | Patrika News

VIDEO : महाराणा प्रताप जयंती विशेष : पाली के कण-कण में महाराणा प्रताप की गूंज, पढ़ें पूरी खबर…

locationपालीPublished: May 25, 2020 12:00:38 pm

Submitted by:

Suresh Hemnani

– सतत संघर्ष से पाली में जन्म स्थली का हुआ विकास

VIDEO : महाराणा प्रताप जयंती विशेष : पाली के कण-कण में महाराणा प्रताप की गूंज, पढ़ें पूरी खबर...

VIDEO : महाराणा प्रताप जयंती विशेष : पाली के कण-कण में महाराणा प्रताप की गूंज, पढ़ें पूरी खबर…

पाली। Maharana Pratap Jayanti : संत-शूरों की नगरी पाली में महाराणा ने अपना बचपन गुजारा था। यहां जूनी धान मंडी के रजकण में महाराणा के वीरत्व की खुशबू आज भी भाव विभोर कर देती है। जूनी धानमंडी में आदमकद अश्वारूढ़ महाराणा प्रताप की प्रतिमा आज भी हमें महाराणा प्रताप की याद दिलाती है। जन्म स्थली को संरक्षित करने में पालीवासियों का सतत् संघर्ष भी कम नहीं रहा है। यहां महाराणा प्रताप जन्मस्थली विकास समिति ने 1997 से लगातार संघर्ष किया है।
राजस्थान पत्रिका रहा संघर्ष का साक्षी
महाराणा प्रताप जन्म स्थली के विकास में समिति के साथ ही राजस्थान पत्रिका का योगदान अहम रहा है। 1997 से लेकर अब तक लगातार समाचारों का प्रकाशन कर पाली की जनता को जगाने एवं उनकी मांग को सरकार तक पहुंचाने में राजस्थान पत्रिका सेतु की भूमिका में रहा है। लगातार समाचारों का प्रकाशन, जन्म स्थली को संरक्षित करने में लोगों में जागरूकता जगाने एवं स्मारक बनाने, प्रतिमा स्थापना करने एवं अश्वारूढ़ प्रतिमा लगवाने के लिए इस प्रयास को जन आंदोलन बनाने में राजस्थान पत्रिका ने अहम योगदान दिया।
जन्म स्थली स्मारक से जुड़ी बातें
– पिछले वर्ष जूनी कचहरी, पाली में महाराणा प्रताप की अश्वारूढ़ प्रतिमा लगी। इस अश्वारूढ़ प्रतिमा की ऊंचाई 17.3 फीट है।
-प्रतिमा को प्राचीन गेट के अंदर ले जाने के लिए नीचे सडक़ से 5.6 फीट गड्डा खोदकर प्रतिमा को बड़ी क्रेन माध्यम से अंदर ले जाया गया।
– इस प्रतिमा के लिए तत्कालीन जिला कलक्टर नीरज के पवन के समय समिति एवं राजस्थान पत्रिका के अभियान से प्रेरित होकर विभिन्न विद्यालयों से बच्चों ने करीब सवा दो लाख रुपए प्रशासन के पास जमा करवाए गए थे।
-इसके बाद नगर परिषद पाली की ओर स्टेच्यू, लाइटिंग, फव्वारे, तोप और मंच बनवाकर स्थल को आकर्षक रूप प्रदान किया गया।
महाराणा के चरित्र को सुनाएं अभिभावक
महाराणा प्रताप का जन्म पाली में हुआ, यह प्रमाण स्वत: सिद्ध है। कई इतिहासकार इसे कुंभलगढ़ बताते हैं, लेकिन उस समय कुंभलगढ़ किसी भी दृष्टि से सुरक्षित नहीं था। पाली ही वह स्थान था जो सुरक्षित था और परंपरा से भी महिला प्रथम प्रसव अपने पीहर में ही होता है। जिस तरह वीर शिवा को शिवाजी बनाने में मां जीजाबाई की प्रमुख भूमिका थी। वैसे ही प्रताप को महाराणा प्रताप बनाने में पाली की जयवंती बाई की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इस बार कोरोना महामारी के चलते सार्वजनिक समारोह नहीं हो पा रहा है, लेकिन शहर के अभिभावक अपने बच्चों को घरों में प्रताप से संबंधित प्रेरक संस्मरण सुनाए। उनकी वीरता से ओतप्रोत कहानियां सुनाकर देशभक्ति एवं स्वातंत्र्य के गीत सुनाएं। – एडवोकेट शैतानसिंह सोनिगरा, अध्यक्ष, महाराणा प्रताप जन्म स्थली विकास समिति, पाली
पाली की धरा संतों व शूरमाओं की
यह तथ्य सर्वविदित है कि प्रताप की मां जयवंती बाई पाली के शासक महाराव अखैराज सोनिगरा की पुत्री थी। माना जाता है कि विवाह के पश्चात् जयवंती रानी कुछ समय तक कुंभलगढ़ रही, लेकिन इसके बाद वह पाली में आ गई, जहां प्रताप को जन्म दिया। महाराणा प्रताप के मामा महाराणा मानसिंह सोनिगरा थे, जिनके नाम से यहां मानपुरा भाकरी का स्थान प्रसिद्ध है। वर्तमान में कोरोना की महामारी से सम्पूर्ण विश्व को आक्रांत किए हुए हैं। ऐसे में इस बार घरों पर ही महाराणा प्रताप जयंती मनाएंगे और शहरवासी अपने बच्चों को महाराणा की वीरता की कहानी सुनाकर उनमें देशभक्ति के भावों का बीजारोपण करेंगे। – उगमराज सांड, संयोजक, महाराणा प्रताप जन्म स्थली विकास समिति
कोरोना के दौर में महाराणा प्रताप से ये बातें सीखें
– महाराणा प्रताप ने कष्टों को सहने के बाद भी धैर्य नहीं खोया। कोरोना के दौर में सभी को घरों में रहकर धैर्य रखने की जरूरत है।
– विपरीत परिस्थितियों में भी ऊर्जा का संचार किया। जिलेवासी भी कोरोना में अपनी प्रतिभा को निखार सकते हैं।
– जब महाराणा जंगलों में भटक रहे थे, तब भामाशाह ने अपनी सम्पत्ति समर्पित कर दी थी। ठीक ऐसे ही इस दौर में भी दानदाताओं को जरूरतमंदों की सेवा के लिए आगे आना चाहिए।
– मातृभूमि से लगाव ही था कि उन्होंने अधीनता को स्वीकार करने के बजाय खुद को मजबूत बनाए रखा। हमें भी उनसे सीख लेनी चाहिए, ताकि देश आत्मनिर्भर बन सके।
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