जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूरी पर लांबिया निवासी मुणोत लम्बे समय से बेंगलूरु में निवास करते हैं तथा मेडिकल व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। व्यवसाय से साथ-साथ पिछड़ों, जरूरतमंदों और पशुओं की सेवा के लिए उन्होंने खुद को समर्पित कर दिया। कोरोनाकाल में पीडि़तों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रतिदिन हजारों लोगों को भोजन कराया। दो हजार से ज्यादा लोगों को सूखी राशन सामग्री पहुंचाई।
इसके अलावा भी वे हर समय जरूरतमंदों की सेवा में लिए अग्रणी रहते हैं। मुणोत कहते हैं, सेवा ही उनके जीवन का मुख्य ध्येय है। गाय में उनकी अगाध आस्था है। मुणोत का कहना है कि गाय महज दूध देने वाली ही नहीं है, यह कल्पवृक्ष है। पूजा करने से गाय नहीं बचेगी, गाय को परिवार का सदस्य बनाना होगा।
गोशाला में हर साल देते हैं लाखों का सहयोग
मुणोत मानव सेवा ही नहीं, गो सेवा के लिए भी पूरी तरह से समर्पित रहते हैं। उन्होंने सडक़ दुर्घटना में घायल होने वाली गायों को अस्पताल और गोशाला तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस लगा रखी है। इसके लिए सार्वजनिक नंबर भी जारी किए हुए हैं, जहां कोई भी व्यक्ति सम्पर्क कर सकता है। गोशाला में भी नियमित रूप से सेवा करने जाते हैं।
मुणोत मानव सेवा ही नहीं, गो सेवा के लिए भी पूरी तरह से समर्पित रहते हैं। उन्होंने सडक़ दुर्घटना में घायल होने वाली गायों को अस्पताल और गोशाला तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस लगा रखी है। इसके लिए सार्वजनिक नंबर भी जारी किए हुए हैं, जहां कोई भी व्यक्ति सम्पर्क कर सकता है। गोशाला में भी नियमित रूप से सेवा करने जाते हैं।
हाल ही में पिता की पुण्य तिथि पर गायों के लिए 34 लाख रुपए का आर्थिक सहयोग किया। शव को श्मसान तक नि:शुल्क पहुंचाने के लिए मोक्षदायिनी एम्बुलेंस भी लगा रखी है। लांबिया गांव में भी उन्होंने पशु चिकित्सालय का निर्माण कराया है। मुणोत का पूरा परिवार दानशीलता का परिचायक है।