महेश नवमी पर्व माहेश्वरी समाज का उत्पत्ति दिवस माना गया है। यह पर्व मनाना तभी सार्थक होगा जब हम हमारे मन की वीणा में जगत के कल्याण के सुर निष्पादित करें। साधना की ज्योति प्रकाशित करें और प्रत्येक मनुष्य में मानव जाति के कल्याण के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की भावना बलवती करें तो निश्चित रूप से हमारा यह महेश नवमी पर्व मनाना सार्थक व सफल होगा। दूसरों की भलाई से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
समाज में विशिष्ट पद पर आसीन होने में वैशिष्ट्य नहीं होता। वरन समाज के प्रति अपने कर्तव्य को पूर्ण निष्ठा के साथ अदा कर तन मन धन से समर्पित होना ही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है। इस महेश नवमी पर्व पर हम सभी को कृत संकल्प होना होगा कि हम अपने स्वार्थों से परे हटकर पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी से पर हिताय, पर सुखाय कल्याणकारी कर्म करेंगे।