ससुराल में रहते हुए शहीद भाई की हर बार खूब याद आती है, लेकिन रक्षाबंधन के पर्व पर तो शहीद भाई की याद करते ही उनकी आंखें नम हो जाती है। कुसुम कंवर व चन्द्रेश कंवर दोनों बहनें अपने अपने ससुराल में रहते हुए रक्षा बंधन पर्व पर कुछ बोल पाती उससे पहले की उनका गला रुंध आता है। भावुक पलों के बीच कुसुम कंवर व चंन्द्रेश कंवर बताती है कि शहीद भाई लक्ष्मणसिंह की याद में तस्वीर पास रखती है। हर बार रक्षा बंधन पर शहीद भाई लक्ष्मणसिंह की तस्वीर पर रक्षा सूत्र बांधकर उन्हें श्रद्धा से याद करती है। बहनों का कहना है कि भाई के इस त्याग पर उन्हें गर्व है। इसी तरह शहीद भाई लक्ष्मणसिंह के छोटे भाई प्रदीपसिंह जैतावत को भी नाज है।
जम्मू-कश्मीर में हुआ था शहीद
लक्ष्मणसिंह जैतावत का बचपन व प्रारंभिक शिक्षा बाबरा में ही हुई। सेना में चयन होने के बाद 9 मार्च 2006 को जम्मू-कश्मीर के नौसेरा सैक्टर में आंतकियों से लोहा लेते समय लक्ष्मणसिंह जैतावत वीर गति को प्राप्त हो गए थे। बहनों का कहना है कि हमारा भाई भारत मां का सच्चा सपूत है। उसकी याद आते ही आंखें भले ही नम हो जाए, पर दिल में गौरव की अनुभूति होती है।