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अवसाद झेल रही हमारी युवा पीढ़ी, दबाव बढ़ा रहा युवाओं में मानसिक तनाव

locationपालीPublished: Apr 04, 2018 02:24:42 pm

Submitted by:

rajendra denok

– बांगड़ अस्पताल में मनोरोग विशेषज्ञ के पास आने वाले मरीजों में से 20 प्रतिशत मरीज मानसिक तनाव के शिकार
 

dipression
फैक्ट फाइल

वर्ष 2017 में मरीज – 4213

जनवरी 2018 – 361

फरवरी 2018 – 380

मार्च 2018 – 409

पाली. युवावस्था को जीवन का सबसे बेहतर समय माना जाता है। यह वहीं समय होता है। जब व्यक्ति अपने भविष्य के निर्माण के लिए प्रयास करता है। लेकिन, वर्तमान में यह अवस्था अवसाद जैसी मानसिक बीमारी से ग्रस्त होती जा रही है। प्रतिस्पर्धा और कई प्रकार के मानसिक दबाव को इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है। प्रतिवर्ष अस्पताल में मानसिक तनाव के मरीजों का आंकड़ा बढ़ रहा है। लोगों में बढ़ते डिप्रेशन के चलते डब्लूएचओ ने भी विशेष कार्यक्रम शुरू किए है। डॉक्टरों की माने तो जिले में सबसे ज्यादा 30 वर्ष तक की उम्र के मरीज इस समस्या से ज्यादा ग्रस्त है। अस्पताल की ओपीडी में आने वाले कुल मरीजों में से 30 प्रतिशत मरीज मानसिक तनाव से ग्रस्त है। इसमें लगभग 25 प्रतिशत मरीज 30 वर्ष तक है। डॉक्टरों ने यह भी बताया कि मानसिक तनाव ही है। जिसके कारण जिले में आत्म हत्याओं का आंकड़ा बढ़ रहा है।
सामाजिक डर व दबाव बढ़ रहा आंकड़ा

डिप्रेशन से ग्रस्त युवाओं का आंकड़ा काफी ज्यादा है। लेकिन, उनके परिजन इस बात को समाज के सामने रखने से कतराते हैं। डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर रोगी के परिजन मामला पूरा बिगडऩे के बाद डॉक्टर की सलाह लेते हैं। इससे पहले वह अंधविश्वास के चलते विभिन्न देवताओं के थान पर ही जाना सही मानते हैं।
डिप्रेशन के कारण

1. रोग – मानसिक कमजोरी के साथ-साथ कुछ लोग अपनी शारीरिक कमजोरी और रोगों के कारण भी अधिक चिंतित रहने लगते हैं। यह परेशानी उनके अवसाद का कारण बन जाती है।
2. पारिवारिक समस्या – कुछ लोगों के घर में अनेक तरह की समस्याओं से परेशान होते है। इसके मुख्य गरीबी, अशांति, पारिवारिक झगड़ें व धन की कमी मुख्य है।

3. अकेलापन – अकेलापन व्यक्ति के जीवन में बहुत गलत प्रभाव डालता है। जब उनका प्रेमी या प्रेमिका धोखा कर देते हैं तो वो खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते है।
4. बेरोजगारी – मुख्य कारणों में से एक बेरोजगारी भी है। बहुत से छात्र है कठिनाइयों और मेहनत से शिक्षा को प्राप्त करते है। लेकिन, अच्छी नौकरी नहीं मिलने के बाद वह डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
यह कहते हैं चिकित्सक

युवा और स्कूल बच्चें सबसे ज्यादा

– पिछले कुछ वर्षों में ही डिप्रेशन जैसी समस्या का आंकड़ा तेजी से बड़ा है। हैरत की बात यह है कि डिप्रेशन रोग 5 साल पहले तक गिने चुने लोगों में होता था। वह भी 50 की उम्र पार लोगों में नजर आता था। लेकिन, अब यह समस्या तेजी से कॉलेज व स्कूल स्टूडेंट व युवा वर्ग में सामने आ रही है। इसका मुख्य कारण प्रतिस्पर्धा व आधुनिक परिवेश है। आधुनिक परिवेश के कई रूप है। कई बच्चें ऐसे भी थे जो मानसिक तनाव को सहन नहीं कर पाए और आत्महत्या जैसे कदम उठा लिया। इसे परिजनों व समाज को गंभीरता से लेना होगा।
– डॉ. दलजीतसिंह राणावत, मनोरोग विशेषज्ञ, बांगड़ अस्पताल

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