पलायन करने वालों में ज्यादातर नौकरी पेशा और बिना परिवार रहने वाले लोग है। जबकि बैंगलूरू समेत कई शहरों में अभी भी बड़ी तादाद में मारवाड़ी जमे हुए हैं। इनमें व्यापारी भी शामिल है। बेंगलूरु में उदयनगरा मारवाड़ी संघ के बैनर तले जरूरतमंदों को भोजन सामग्री बांटने में लगे हुए हैं। जैन, राजपूत, सीरवी, देवासी, प्रजापत, घांची और पटेल समेत विभिन्न समाजों के मारवाड़ी असहाय लोगों की सेवा-सुश्रुसा में जुटे हुए हैं।
बेंगलूरु के व्यवसायी राजेन्द्रसिंह संडारड़ा कहते हैं कि पलायन करना मारवाड़ी की शान के खिलाफ है। जो लोग विभिन्न शहरों से भागकर आए, उन्हें ऐसा कने की जरूरत नहीं थी। यहां घरों में रहें तो कोई खतरा नहीं है। फिर मुश्किलों का सामना करना ही तो मारवाड़ी की पहचान है। लांबिया के रहने वाले अशोक जैन का कहना है कि पलायन करने वालों को समझाया भी था। यहां किसी तरह की परेशानी नहीं थी। रुकने-खाने की व्यवस्था भी है। उदयनगरा मारवाड़ी संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र कोटरिया के अगुवाई में रोजाना हजारों लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की जा रही है। कई लोग लॉकडाउन में बीच रास्ते में फंस गए, उनके लिए भी व्यवस्था कर रहे हैं।