माथुर ने शून्यकाल के दौरान कहा कि पश्चिमी राजस्थान में यह सबसे बड़ा पेजयल मुद्दा है। जवाई बांध के निर्माण के बाद यह 8 से 10 बार ही पूरा भरा है। जब भी पानी से भरता है पेयजल और सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। लेकिन आजादी के बाद यह बांध अधिकांश समय खाली ही रहा है। इससे किसानों की जमीनें प्यासी रह जाती है। किसानों को मजबूरन आंदोलन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पाली, जालोर व सिरोही जिला पेयजल और सिंचाई के लिए जवाई पर निर्भर है। उनके आग्रह पर वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जल आयोग को विशेष योजना बनाने के निर्देश दिए थे। इसकी लागत 6 हजार 521 करोड़ आंकी गई थी।
यह योजना केन्द्र सरकार के विचाराधीन है। यह योजना दो चरणों में पूरी करना प्रस्तावित है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की प्रशंसा करते हुए यह भी कहा कि वर्तमान में परियोजना की संशोधित पीएफआर केन्द्रीय जल आयोग के पास परीक्षणाधीन है। इस संबंध में राजस्थान और गुजरात के अधिकारियों की बैठक भी जून में हो चुकी है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि इस महत्वपूर्ण योजना को जल्द स्वीकृत कर तीनों जिलों को पेयजल एवं सिंचाई की समस्या से निजात दिलाए।