राज्य मानवाधिकारी आयोग जयपुर में परिवाद प्रस्तुत किया था। जिसमें राज्य
में इस बीमारी से पीडि़त मरीजों को राहत देने के लिए गाइड लाइन बनाने से
सहित कई सुझाव भी लिखे। 31 अक्टूबर 2019 को निदेशालय चिकित्सा एवं
स्वास्थ्य विभाग राजस्थान जयपुर के अतिरिक्त निदेशक (चि.प्र.) चिकित्सा
एवं सेवाएं ने एक आदेश जारी किया। जिसमें मानवाधिकार आयोग में सामाजिक
कार्यकर्ता भंडारी व सोनी ने जो सुझाव दिए थे। उन सुझावों की पालना के
लिए राज्य के सभी जिले के सीएमएचओ को लिख दिया। उस आदेश में कुछ भी
स्पष्ट नहीं किया गया कि इनकी पालना के लिए बजट कहां से आएगा। पीडि़त के
परिवार को भत्ता किस विभाग के जरिए दिया जाएगा, बजट कहां से आएगा आदि।
– पुर्नवास केन्द्र स्थापित किए जाए, जिससे एक ही जगह पर रहकर इस बीमारी
के पीडि़त शिक्षा प्राप्त कर सकें ओर व्यायाम कर सकें।
– जिलास्तर पर प्रतिमाह एक तारिख निर्धारित कर जागरूकता एवं सहायता शिविर
लगाया जाए। तथा गंभीर रोगियों को पुर्नवास केन्द्र से जोड़ा जाए।
– मरीजों के परिवार को विशेष भत्ता दिया जाए, जिससे की वे बीमारी से
पीडि़त बच्चे की देखभाल कर सके।
– मरीजों के परिवारों को बीपीएल के समकक्ष सुविधाएं दी जाए।
– ऐसे बच्चों को शिक्षा से जोडऩे के लिए ई-शिक्षा की योजना बनाई जाए।
जिससे वे घर पर रखकर शिक्षा प्राप्त कर सकें।
– गंभीर बीमारी से पीडि़त होने के कारण ऐसे मरीजों को अन्य नागरिकों की
अपेक्षा प्राथमिकता दी जाए।
– राज्य स्तर पर इसको लेकर एक कमेटी का गठन किया जाए।
पूर्व में भी एक आदेश जारी किया था। जिसके तहत भी सीएमएचओ को इस बीमारी
से पीडि़त मरीजों का सर्वे करने के आदेश दिए थे। सर्वे की कार्रवाई पूर्ण
होने के बाद इसको लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
– डॉ एएन माथुर, अतिरिक्त निदेशक (चि.प्र.) चिकित्सा एवं सेवाएं जयपुर